दिल्ली: यमुनापार में छठ की तैयारियां जोरों पर हैं। यमुना किनारे व डीडीए के ग्राउंड में छठ घाट बनाए जा रहे हैं। अधिकतर स्थानों पर मशीनों से घाट के लिए गड्ढे खोद दिए गए हैं। उसमें सीढ़ियां बनाने का काम चल रहा है। यमुना किनारों को मशीनों से समतल किया जा रहा है। बताया गया कि अभी टेंट, बिजली और पानी की व्यवस्था वहां नहीं की गई है। छठ समितियां घाटों की सफाई में जुटी हुई हैं। कोई भी अस्थायी घाट पूरी तरह से तैयार नहीं है।
न्यू उस्मानपुर खादर, शास्त्री पार्क, मयूर विहार, मंडावली, कैलाश नगर, हर्ष विहार, कोंडली, विश्वास नगर समेत कई स्थानों पर अस्थायी घाट के लिए गड्ढा खोद दिया गया है। सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग घाट बना रहा है। यमुनापार में 70 घाट हैं। अभी घाटों पर सिंचाई विभाग ही नजर आ रहा है।
सिंचाई विभाग का कार्य पूरा नहीं हुआ है। उससे पहले ही छठ मनाने वाले लोग घाटों पर पहुंचने शुरू हो गए हैं। वह घाटों पर पहुंचकर वेदी बना रहे हैं। पूजा के लिए अपना स्थान घेर रहे हैं। ताकि अर्घ्य वाले दिन उन्हें पूजा करने में कोई दिक्कत न हों।
मयूर विहार में घाटों को खुद भी संवार रहे हैं लोग
मयूर विहार फेज-एक में डीडीए के ग्राउंड में प्रशासन की ओर से अस्थायी घाट बनाएं जा रहे हैं। यहां छह गड्ढे सिंचाई विभाग ने खोदे हैं। कट्टो में रेत भरकर सीढ़ियां बनाई जा रही हैं। यहां अभी लाइट, शौचालय व टेंट की व्यवस्था नहीं है। चिल्ला गांव, मयूर विहार और न्यू अशोक नगर के लोग यहां पहुंचकर खुद भी घांट को संवार रहे हैं। जगह घेरने के लिए किसी ने रस्सी बांध दी है किसी ने केले के पेड़ के पत्ते लगा दिए हैं।
दिलशाद गार्डन में स्थायी घाट हुआ तैयार, चलाया सफाई अभियान
दिलशाद गार्डन स्थित डीयर पार्क में स्थायी छठ घाट बना हुआ है। कुछ ही दिनों पहले घाट का मरम्मत कार्य पूरा हुआ है। बृहस्पतिवार को मैत्रिय छठ पूजा समिति के सदस्य यहां सफाई करते हुए नजर आए। यहां पार्क में पहले ही लाइट लगी हुई है। इसके साथ ही अतिरिक्त लाइट की व्यवस्था की जा रही है। शनिवार सुबह से घाट में जल बोर्ड के टैंकर से पानी भरना शुरू हो जाएगा।
मशीन से मयूर विहार में यमुना किनारे को किया जा रहा है समतल
मयूर विहार डीएनडी के पास यमुना किनारे को माडल छठ घाट बनाया जा रहा है। यहां मशीन से किनारे को समतल किया जा रहा है। रेत को कट्टों में भरकर नदी में डाला जा रहा है, ताकि किनारे पर पानी का स्तर व्रतियों के अनुसार किया जा सके। लोग उस पानी में डूबे नहीं। अभी यहां यमुना में लकड़ी का जाल लगाने का काम भी शुरू नहीं हुआ है।

