Sunday, June 22, 2025

निशिकांत दुबे के बयान पर भड़के ओवैसी बोले- ये तो सुप्रीम को धार्मिक युद्ध की धमकी है

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नई दिल्ली। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी भड़क गए हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि उन लोगों को नहीं मालूम की अनुच्छेद 142 क्या है। ये वो अनुच्छेद है जिसे खुद डॉ अंबेडकर ने तैयार किया था। उन्होंने कहा कि भगवा पार्टी के समर्थक इतने ज्यादा कट्टरपंथी हो गए हैं कि वे अब खुले आम न्यायपालिका को धार्मिक युद्ध की धमकी दे रहे हैं। सांसद निशिकांत के इस बयान से भारतीय जनता पार्टी ने खुद को किनारे कर लिया है। अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके कहा कि पार्टी का इस बयान से कुछ भी लेना-देना नहीं है। उन सांसदों को आगे से ऐसा बयान न देने के लिए निर्देशित किया गया है।
ओवैसी ने सीधा पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा, मोदी जी अगर आप इन लोगों को नहीं रोकेंगे तो देश कमजोर हो जाएगा। देश आपको माफ नहीं करेगा और कल आप सत्ता में नहीं रहेंगे।
निशिकांत दुबे के बयान पर लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने अपनी आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेता बीवी श्रीनिवास ने दुबे पर निशाना साधते हुए कहा, निशिकांत दुबे जैसे उपद्रवी सांसदों में अपने आकाओं के आदेश के बिना सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं है। नड्डा, आप कब तक राम बोलकर छुरा घोंपेंगे? भाजपा के नेताओं पर तंज कसते हुए ओवैसी ने कहा, आप लोग(भाजपा) ट्यूबलाइट हैं। इस तरह से अदालत को धमका रहे हैं। क्या आपको पता भी है कि अनुच्छेद 142 क्या है? इसे बीआर अंबेडकर ने तैयार किया था। भाजपा धोखाधड़ी कर ही है और धार्मिक युद्ध की धमकी दे रही है। आपको बता दें कि अनुच्छेद 142 के प्रावधान के तहत सुप्रीम कोर्ट अपने समक्ष आए किसी भी मामले में पूर्ण न्याय देने का अधिकार होता है।
ये थे निशिकांत दुबे के बोल  
भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर गृह युद्ध को भड़काने का आरोप लगाया था। सुप्रीम कोर्ट के अधिकार पर सवाल उठाते हुए दुबे न कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए।उन्होंने कहा,सुप्रीम कोर्ट का एक ही उद्देश्य है कि तुम मुझे चेहरा दिखाओ.. मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से आगे जा रहा है। अगर हर चीज सुप्रीम कोर्ट में ही तय होनी है तो संसद और राज्य विधानसभा को बंद कर देना चाहिए।
 

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