Tuesday, October 7, 2025

संजीवनी साबित होगी नई थेरपी, फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे बच्चों के लिए नई रोशनी

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दिल्ली: एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानि गंभीर फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित बच्चों के लिए राहत की उम्मीद है। ऐसे बच्चों की जिंदगी को भी बचाया जा सकता है। वेंटिलेटर पर एयरवे प्रेशर रिलीज वेंटिलेशन (एपीआरवी) मोड से बच्चों की मृत्यु दर में 12 फीसदी का सुधार देखने को मिला है।

एक्यूट एंड क्रिटिकल केयर जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। यह अध्ययन दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल और तमिलनाडु स्थित वेल्लूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में छह वर्ष तक हुआ। इस अध्ययन में एक माह से अधिक उम्र के नवजात से लेकर 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शामिल किया गया था। इसमें देखने को मिला कि एपीआरवी मोड वाले बच्चों के समूह में मृत्यु दर 79 फीसदी रही। जबकि बिना एपीआरवी मोड वाले समूह के बच्चों में 91 फीसदी मृत्यु की दर देखने को मिली। यानि जिन बच्चों में एपीआरवी मोड से फेफड़े फुलाने के लिए प्रेशर दिया उनमें बिना एपीआरवी मोड की तुलना में 12 फीसदी मृत्यु दर कम देखने को मिली।

अध्ययन में चला पता फेफड़े नहीं करते हैं काम
इस अध्ययन में आरएमएल अस्पताल से प्रोफेसर डॉ. सुधा चंदेलिया, डॉ. सुनील किशोर, डॉ. मानसी गंगवाल शामिल हुई। जबकि वेल्लूर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज से डॉ. देविका ने हिस्सा लिया। अध्ययन का नेतृत्व करने वाली और अस्पताल के पीडियाट्रिक विभाग के डिविजन ऑफ पीडियाट्रिक क्रिटकल केयर में प्रो. डॉ. सुधा चंदेलिया ने बताया कि पीडियाट्रिक एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (पीएआरडीएस) से जूझने वाले बच्चों की जिंदगी को बचाया जा सकता है। इस स्थिति में फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं और ऑक्सीजन न बनने के कारण मौत हो जाती है। ऐसे बच्चों के जीवन को बचाने के लिए अध्ययन में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं।

अध्ययन के लिए बनाए थे बच्चों के दो समूह
इस अध्ययन में बच्चों के दो समूह बनाए गए थे। एपीआरवी मोड सभी वेंटिलेटर में उपलब्ध नहीं होता है। एपीआरवी मोड से बच्चों में उच्च स्तर और निम्न स्तर पर फेफड़े फुलाने के लिए प्रेशर दिया जाता है। खासतौर पर ऐसे बच्चे जो गंभीर फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे होते हैं। ऐसे बच्चों के फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाता है। फेफड़े कठोर और शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इससे सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है।

एपीआरवी मोड ऐसे करता है काम 
एपीआरवी मोड से प्रेशर के जरिए फेफड़ों को फूलाते हैं और फिर फेफड़ों के सामान्य स्थिति में पहुंचने की संभावना बनने पर ऑक्सीजन का स्तर बनना शुरू हो जाता है। यह एक तरह की थेरेपी है। जिन बच्चों को एपीआरवी मोड दिया ऐसे बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट दर्ज की गई। इस तरह का अध्ययन पहली बार किया गया है। अभी तक चंडीगढ़ स्थित एक अस्पताल ने किया था लेकिन वह बीच में अधूरा रह गया। आईसीयू में एपीआरवी मोड से बच्चों की जिंदगी को बचा सकते है।

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