नई दिल्ली। ये दौर वैश्विक अशांति का दौर है। कई देशों की आपसी जंग चल रही है। कहीं तनाब है तो कहीं युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं। ऐसी ही परिस्थितियों के चलते कटिंग एज वेपन हासिल करने की होड़ से मची हुई है। रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास और अब थाईलैंड-कंबोडिया के बीच सैन्य टकराव ने हर छोटे बड़े देश को अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने के लिए मजबूर कर दिया है। पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच भी टकराव हुआ। देश की सीमा एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन से लगती है। इन दोनों देशों का भारत के प्रति व्यवहार और रवैये से पूरी दुनिया वाकिफ है। भारत भी इस बात को अच्छी तरह से समझता है। यही वजह है कि भारत सेना के तीनों अंगों (इंडियन नेवी, इंडियन आर्मी और इंडियन एयरफोर्स) को लगातार अपग्रेड करने में जुटा है।
इसके तहत इंडियन नेवी प्रोजेक्ट-18 के तहत नेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर डेवलप करने में जुटी है। यह डिस्ट्रॉयर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल समेत 144 मिसाइल को ले जाने में सक्षम है। इंडियन नेवी भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक नया अध्याय रचने जा रही है। प्रोजेक्ट 18 के तहत भारत अपनी अब तक की सबसे बड़ी और सबसे अत्याधुनिक विध्वंसक युद्धपोत की सीरीज विकसित कर रहा है, जो न केवल आकार में मौजूदा विशाखापट्टनम-क्लास से बड़ी होगी, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी कई गुना ज्यादा सक्षम होगी। करीब 13,000 टन वजनी यह युद्धपोत इतना विशाल होगा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार इसे क्रूजर श्रेणी में भी रखा जा सकता है। यह आकार और मारक क्षमता के लिहाज से भारतीय नौसेना का सबसे उन्नत और शक्तिशाली युद्धपोत होगा। भारतीय नौसेना के भविष्य के सबसे महत्वाकांक्षी युद्धपोत प्रोजेक्ट 18 के तहत तैयार हो रहे डिस्ट्रॉयर की हथियार प्रणाली इसे अब तक का सबसे ताकतवर भारतीय युद्धपोत बना रही है। यह जहाज कुल 144 वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (वीएलएस) सेल्स से लैस होगा, जो इसे किसी भी खतरे से निपटने में बहुआयामी क्षमता प्रदान करता है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
प्रोजेक्ट 18 पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित है। इसमें लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल का लक्ष्य रखा गया है। युद्धपोत में इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन (आईईपी) सिस्टम, स्टील्थ फीचर्स, दो मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों की तैनाती और रेल-लेस हेलीकॉप्टर ट्रैवर्सिंग सिस्टम भी शामिल होंगे। इसके अलावा यह जहाज स्वायत्त जलयानों को तैनात कर पनडुब्बी रोधी और बारूदी सुरंग खोज अभियानों में भी सक्षम होगा।
प्रोजेक्ट 18 केवल एक युद्धपोत परियोजना नहीं, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति, तकनीकी आत्मनिर्भरता और रणनीतिक संकल्प का प्रतीक है। यह परियोजना भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे अत्याधुनिक और घातक सतह युद्धपोत विकसित करने वाले देशों की कतार में खड़ा कर देगी।
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