Sunday, June 22, 2025

दिल्ली फार्मेसी घोटाला मामले में पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह को बेल

- Advertisement -

नई दिल्ली। दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) में फर्जी डिप्लोमा के जरिए फार्मासिस्टों की भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह को अदालत ने सशर्त जमानत दे दी। पटियाला हाउस स्थित विशेष न्यायाधीश दीपाली शर्मा की अदालत ने कहा कि जांच में कुलदीप से अब कोई और बरामदगी शेष नहीं है और सह-आरोपितों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सुबूत पहले ही जब्त किए जा चुके हैं, ऐसे में अब कुलदीप सिंह की आगे की हिरासत से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा।
कोर्ट ने कुलदीप सिंह को 50 हजार के निजी मुचलके और उतनी ही राशि के एक जमानती पर जमानत दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कुलदीप पर जमानत की शर्तें भी लगाई। कोर्ट ने कहा कि आरोपित जांच में पूरा सहयोग करेगा और बुलाने पर हाजिर होगा। वह किसी भी गवाह को प्रभावित नहीं करेगा, न ही जमानत के दौरान सुबूतों से छेड़छाड़ करेगा। वहीं, आरोपित बिना अनुमति देश भी नहीं छोड़ सकेगा। इसके साथ ही अपना पता बदलने पर तुरंत संबंधित जांच अधिकारी को इसकी सूचना देगा।

उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं: अधिवक्ता

मामले की सुनवाई के दौरान कुलदीप सिंह की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि उनका मुवक्किल निर्दोष हैं और उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। अधिवक्ता ने दलील दी कि न तो कोई बरामदगी बाकी है और न ही आरोपित अब किसी जांच को प्रभावित कर सकता है।
वही, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश लोक अभियोजक ने आरोपित की जमानत का कड़ा विरोध करते हुए दलील दी कि कुलदीप सिंह इस पूरे घोटाले का केंद्र हैं। आरोपित ने घोटाले में सक्रिय भूमिका निभाई है, इसलिए उसे राहत नहीं दी जानी चाहिए थी। अधिवक्ता ने दलील दी कि आरोपित की कॉल डिटेल रिकार्ड से पता चला है कि वो मामले में मुख्य बिचौलिए संजय से लगातार संपर्क में था।

मामला दिल्ली सरकार की शिकायत पर दर्ज

ये मामला दिल्ली सरकार की शिकायत पर दर्ज हुआ था। शिकायतकर्ता का आरोप है कि आरोपित कुलदीप सिंह ने अपने पद का दुरुपयोग कर फर्जी डिप्लोमा और प्रशिक्षण प्रमाणपत्रों के आधार पर कई लोगों को फार्मासिस्ट के रूप में पंजीकृत किया। दलालों के माध्यम से रिश्वत लेकर ये पंजीकरण मंजूर किए गए। जांच में ये सामने आया कि यह गोरखधंधा वर्ष 2021 से चल रहा था और कई उम्मीदवारों के दोहरे प्रमाणपत्र अपलोड किए गए थे, इसमें कई के गलत रिकार्ड भी पाए गए। मामले में 44 सह-आरोपितों को पहले ही जमानत दी जा चुकी है।

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news