राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से 7,880 से ज्यादा लोग लापता हो गए हैं जिनका अभी तक कोई सुराग नहीं लगा. लापता लोगों में महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल हैं. अलग आप सोच रहे हैं कि लापता लोगों की ये संख्या 2 या 4 साल की तो ऐसा नहीं. इस साल 1 जनवरी से लेकर 23 जुलाई तक इतने लोग लापता हुए हैं. जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (जिपनेट) के आंकड़ों से ये जानकारी मिली है. जो बेहद चौंकाने वाली बात है.
जिपनेट के मुताबिक जो लोग लापता हैं और उनका सुराग नहीं मिला है उनमें 4,753 महिलाएं और 3,133 पुरुष शामिल हैं. आंकड़ों की मानें तो बाहरी उत्तरी दिल्ली जिले में गुमशुदगी के सबसे ज्यादा 908 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें बवाना, स्वरूप नगर और समयपुर एवं बादली जैसे इलाके शामिल हैं.
सबसे कम लापता लोगों की संख्या
आंकड़ों के मुताबिक नई दिल्ली जिले में लापता लोगों की संख्या सबसे कम है. यहां से 85 लोग लापता हैं. हाई सिक्योरिटी वाले नई दिल्ली क्षेत्र में तिलक मार्ग, चाणक्यपुरी और संसद मार्ग जैसे क्षेत्र शामिल हैं. कड़ी सुरक्षा के बाद भी इस क्षेत्र से लोगों का लापता होना चिंता की बात है जिनका अभी तक कुछ पता नहीं चल सका.
उत्तर पूर्वी जिले में 730 मामले दर्ज
वहीं उत्तर पूर्वी जिले में 730 मामले दर्ज किए गए, जो लापता लोगों की संख्या में दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा दक्षिण पश्चिम जिले में 717, दक्षिण पूर्व जिले में 689 और बाहरी जिले में 675 मामले दर्ज किए गए हैं. जिपनेट के मुताबिक द्वारका में 644, उत्तर पश्चिम जिले में 636, पूर्वी जिले में 577 और रोहिणी जिले में लापता लोगों के 452 मामले दर्ज किए गए. इधर मध्य जिले में 363 लोगों का सुराग नहीं मिल पाया है, जबकि उत्तर, दक्षिण और शाहदरा जिलों में क्रमश: 348, 215 और 201 लोग अब भी गुमशुदा हैं जिनका कुछ पता नहीं चल सका है.
1,486 अज्ञात शव मिले
आंकड़ों के मुताबिक इस साल यानी 1 जनवरी 2025 से 23 जुलाई 2025 के बीच 1,486 शव अज्ञात लोगों के मिले हैं जिनमें से ज्यादातर शव पुरुषों के थे. वहीं उत्तरी जिले में सबसे ज्यादा 352 शव मिले जिनकी पहचान नहीं हो सकी. इनमें कोतवाली, सब्जी मंडी और सिविल लाइंस जैसे इलाके शामिल हैं.
इसी तरह मध्य जिले में 113, उत्तर पश्चिम में 93, दक्षिण पूर्व में 83, दक्षिण पश्चिम और उत्तर पूर्व में 73-73, बाहरी में 65, पूर्व और नई दिल्ली में 55-55, पश्चिम और बाहरी उत्तर में 54-54, रोहिणी में 44, शाहदरा में 42, द्वारका में 35, दक्षिण में 26 और रेलवे में 23 शव मिले जिनकी शिनाख्त नहीं हो सकी. इनमें महिलाओं पुरुषों दोनों के शव शामिल हैं.
क्या है जिपनेट
जिपनेट एक केंद्रीकृत डेटाबेस है जिसका इस्तेमाल कानून प्रवर्तन एजेंसियां लापता लोगों और अज्ञात शवों का पता लगाने के लिए करती हैं. यह डेटाबेस कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का डेटा संकलित करता है. जिपनेट देश के 8 राज्यों का एक क्षेत्रीय एकीकृत पुलिस नेटवर्क है. इस साइट पर चोरी हुए वाहनों, गुमशुदा बच्चों, अज्ञात बच्चों, गुमशुदा लोगों, अज्ञात मृतकों आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इसके साथ ही चोरी हुए मोबाइल फोन के बारे में भी जानकारी ली की जा सकती है. जिपनेट की शुरुआत साल 2004 में हुई थी.