दिल्ली हाईकोर्ट ने साइबर ठगी के आरोपी को अग्रिम जमानत देने से साफ इंकार कर दिया. आरोपी ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर एक व्यक्ति से 1 करोड़ 75 लाख रुपए ठग लिए थे. ठगी इतनी सुनियोजित और हाईटेक थी कि आरोपी ने व्हाट्सएप वीडियो कॉल में सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई के फर्जी दस्तावेज तक दिखाए.
हाईकोर्ट ने कहा, तकनीक अब अपराधियों का हथियार
जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि यह मामला साइबर क्राइम के गंभीर अपराधों से जुड़ा है. भोले-भाले लोगों को फंसाने के लिए आरोपी ने हाईटेक उपकरणों और मानसिक दबाव का इस्तेमाल किया. कोर्ट ने यह भी कहा कि आज टेक्नोलॉजी अपराधियों के हाथों में विनाश का हथियार बन गई है.
कोर्ट ने बताया कि कॉल डेटा, डिजिटल सिम लोकेशन और फर्जी पहचान के जाल से बाहर आना आसान नहीं है. आरोपी के पास मौजूद सबूत यह साबित करते हैं कि वह पूरे अपराध में सक्रिय था. कोर्ट ने साफ कहा कि अगर जमानत दी गई तो जांच कमजोर हो सकती है.
ठगी का तरीका, पुलिस अधिकारी बनकर दिया धोखा
अर्जी के अनुसार, 6 मई 2024 को आरोपी ने खुद को मुंबई पुलिस अधिकारी बताकर पीड़ित को धमकाया. उसने कहा कि पीड़ित के आधार कार्ड से एक सिम खरीदी गई है और उसका गलत इस्तेमाल हो रहा है.
वीडियो कॉल में आरोपी ने पुलिस वर्दी पहनकर पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप और फर्जी दस्तावेज दिखाए. डर के मारे पीड़ित ने अपने बैंक खाते से 1 करोड़ 75 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए.
जांच और वर्तमान स्थिति क्या है?
सच्चाई सामने आने के बाद पीड़ित ने दिल्ली पुलिस साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई. जांच में पता चला कि आरोपी ने कई वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल किया. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ ठगी नहीं बल्कि डिजिटल माध्यम से चलाए जा रहे सुनियोजित आपराधिक नेटवर्क का हिस्सा है. दिल्ली पुलिस आरोपी और उसके सहयोगियों की तलाश में जुटी हुई है.