नई दिल्ली: जमानत दिलाने के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष कहा कि मामले की जांच में नए तथ्य सामने आए हैं।
एसीबी की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता संजीव भंडारी ने न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ के समक्ष कहा कि नवीनतम स्थिति रिपोर्ट में आरोपित की पत्नी को भी शामिल किया गया है, जो अदालत की कर्मचारी भी है।
संजय भंडारी ने याचिकाकर्ता के वकील द्वारा ट्रायल कोर्ट के जज को शामिल करने पर आपत्ति जताई और कहा कि कर्मचारी के खिलाफ पर्याप्त सामग्री मौजूद है। इस पर अदालत ने चेतावनी दी कि दलीलों में एक कदम आगे बढ़कर पीठासीन अधिकारी को शामिल न करें।
मामले में अगली सुनवाई 11 जून को होगी
इस दौरान याचिकाकर्ता मुकेश कुमार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मोहित माथुर ने गिरफ्तारी पर सुरक्षा देने से संबंधित याचिका पर सुनवाई करने पर जोर दिया।
इस पर पीठ ने कहा कि जांच एजेंसी की सामग्री का गिरफ्तारी-पूर्व जमानत याचिका पर प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में मामले की सुनवाई 11 जून को होगी। अदालत ने साथ ही एसीबी को अतिरिक्त स्थायी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान संजय भंडारी ने कहा कि मामले में नए साक्ष्य सामने आए हैं और कुछ घटनाक्रमों को रिकार्ड पर पेश करना है। याचिकाकर्ता की पत्नी एक कोर्ट अधिकारी भी हैं।
एसीबी के तर्कों का कोर्ट कर्मी के वकील ने किया विरोध
एसीबी के तर्कों का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मोहित माथुर ने कहा कि पैसे के लेन-देन के संबंध में शिकायत की गई थी और मेरे मुवक्किल की आजादी दांव पर है।
एसीबी ने 16 मई को राउज एवेन्यू कोर्ट में तैनात रहे अहलमद मुकेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (पीसी) अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 7/13 के तहत मामला दर्ज किया था।
आरोप है कि अहलमद ने कुछ आरोपितों से उनकी जमानत सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत मांगी और प्राप्त की। प्राथमिकी करने से पहले एसीबी ने जनवरी-2025 में दिल्ली सरकार के कानून सचिव को पत्र लिखकर न्यायाधीश की जांच करने की अनुमति मांगी थी।