Tuesday, December 24, 2024

दिल्ली-NCR में छाया दिसंबर की तरह धुंध, प्रदूषण ने बनाया पूरे इलाके को गैस चेंबर

DelhiSmog : दिवाली को बीते दो सप्ताह हो गया है . दिल्ली एनसीआर  के लोग इस बात को लेकर राहत महसूस कर रहे थे कि इस साल बीते कुछ सालों की तरह यहां वायू प्रदूषण का स्तर उतना नहीं बढ़ा जितना हर साल दिवाली के समय बढ़ जाता था लेकिन दिल्ली एनसीआर वालों का सूकून ज्यादा समय नहीं रहा . बुधवार को  दिल्ली और एनसीआर के इलाकों मे सुबह से ही धुंध का साया देखने के लिए मिला. हल्की  ठंढ के साथ सफेद धुंए से सारा इलाका ढंका नजर आया.  विजिविलिटी इतनी कम थी कि आसपास भी देखना मुश्किल हो रहा है.

DelhiSmog ने दिल्ली एनसीआर को घेरा,प्रदूषण नियंत्रण के उपाय बेअसर    

दिल्ली में पटाखों पर बैन और प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अपनाये गये नियमों के बावजूद हवा में प्रदूषण का असर कम नहीं है. बैन के बावजूद लोगों ने पटाखे जलाये, भारी संख्या में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है और वाहनों का धुंआ तो है ही. इनके साथ ही पंजाब हरियाणा में  बैन के बावजूद पराली जलाने के मामले भी सामने आ रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि  हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की वजह से बड़ी मात्रा में धुआं दिल्ली की ओर आता है. पंजाब हरियाणा की तरफ पराली जलाने के कारण दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है.

विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दियां शुरु हो गई हैं, ऐसे में वातारण में  तापमान कम हो जाता है और हवा ठंडी और स्थिर हो जाती है. जिसकी वजह से प्रदूषित कण ऊपर की तरफ नहीं उठ पाते और वातावरण में ही बने रहते हैं. यही धुंआ ठंढी हवा के साथ मिलकर स्मॉग बनाते हैं और  प्रदूषण के स्तर को जानलेवा बना देता है.

 जमीन पर उपायों का असर  नहीं दिखता है ..

दिल्ली में मौजूद हवा की खराब क्वालिटी को लेकर एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकार यहां हर साल   प्रदूषण को नियंत्रित रखन के लिए लंबी-चौड़ी प्लानिंग करती है.कई चीजों पर बैन लगाया जाता है, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक  सरकारों को चेतावनी देते हैं इसके बावजूद जमीन पर इसका असर नहीं दिखाई देता है.

दिल्ली की सरकार एंटी – स्मागगन से छिड़काव के साथ साथ तमाम तरह के प्रतिबंध लगाने के दावे करती है लेकिन इन दावों का असर तभी होगा जब प्रदूषण के मूल कारणों पर काम किया जायेगा. पूरे वातावरण में कंस्ट्रक्शन की धूल , गाडियों से निकलने वाला धुंआ  को नियंत्रित नहीं किया जायेगा, प्रदूषण का स्तर ऐसे ही जानलेवा बना रहेगा.

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