दिल्ली
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की IFSO यूनिट ही सिर्फ आधिकारिक तौर पर अभी इस मामले की जांच कर रही है.दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है एम्स के सर्वर का जो इन्फेक्टेड सर्वर था उसे जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक लैब CFSL भेजा गया है .FSL की टीम जांच कर रही है कि सर्वर को कहां से हैक किया गया था और इसका सोर्स क्या था?
FSL की जांच के बाद ये साफ हो सकेगा कि हैकिंग इंडिया से ही की गई थी या इंडिया के बाहर से, ये जांच के बाद ही साफ हो पाएगा.
सेंट्रल फोरेंसिक लैब की दिल्ली और अहमदाबाद की टीम इस इन्फेक्टेड सर्वर की जांच कर रही है.इसके अलावा दिल्ली पुलिस की IFSO यूनिट (साइपेड) भी अपने एक्सपर्ट्स के साथ एक मामले की जांच कर रहे हैं. हैकिंग के 9 दिन बाद भी हैकिंग के सोर्स का पता नहीं लग पाया है.
एम्स के जो सर्वर रिस्टोर किए जा चुके है या जिनके रेक्टिफिकेशन का काम चल रहा है उसमें गृह मंत्रालय से लेकर आईटी मंत्रालय और कई अलग अलग विभाग काम कर रहे है.
सर्वर हैक कैसे हुआ इसकी आधिकरिक तौर पर जांच दिल्ली पुलिस कर रही है और अनौपचारिक तौर पर एनआईए भी एम्स जाकर इसकी जांच में शामिल हुई है.
सीएफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद जल्द ही दिल्ली पुलिस कोई आधिकारिक बयान जारी कर सकती है. दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है बहुत जल्द पुलिस इसमे कोई बयान जारी करेगी.
23 नवंबर की सुबह 7 बजे से. 24 घंटे बाद भी सर्वर ठीक नहीं हो पाने के बाद एम्स के अफसरों ने दिल्ली पुलिस से संपर्क किया.
बता दें कि पिछले महीने 23 नवंबर से अचानक एम्स के सर्वर में खराबी की शिकायत आई थी उसके बाद एम्स प्रशासन की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए गृहमंत्रालय से लेकर इंटेलिजेंस एजेंसी तक एलर्ट पर है.
एम्स सर्वर हैकिंग के बाद करीब 4 करोड़ मरीजों का डाटा खतरे में आ गया गया.
बता दें कि पिछले महीने 23 नवंबर से अचानक एम्स के सर्वर में खराबी की शिकायत आई थी उसके बाद एम्स प्रशासन की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए गृहमंत्रालय से लेकर इंटेलिजेंस एजेंसी तक एलर्ट पर है.