दिल्ली : दिल्ली में एक बार फिर से सरकार और उप राज्यपाल के बीच ठन गई है. इस बार दोनों के बीच विवाद का मुद्दा बना है – नगर निगम में एल्डरमैन ( MCD Alderman) का चयन
दिल्ली सरकार इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उपराज्यपाल द्वारा एल्डरमैन के चयन के खिलाफ अर्जी दाखिल की है और एल्डरमैन की नियुक्ति को चुनौती दी है. अब सुप्रीम कोर्ट में 24 मार्च को इस मामले पर पर सुनवाई होगी.
एल्डरमैन (MCD Alderman) के चयन पर क्या है विवाद ?
दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन चुनने की परंपरा है. अब तक नगर निगम में एल्डरमैन के तौर पर ऐसे व्यक्ति का चुनाव किया जाता रहा है जिसे निगम प्रशासन का खासा अनुभव रहा हो , जो नगर निगम के नियम कानूनों का विशेषज्ञ रहा हो. MCD ACT 1957 के तहत नगर निगम में ऐसे 10 सदस्य चुने जाते हैं जिनके पास नगर निगम को चलाने का खास अनुभव और विशेषज्ञता रही हो.इनका मनोनयन राज्यपाल की तरफ से किया जाता है.
नगर निगम में एक एल्डरमैन के पास वे सभी अधिकार होते है जो एक चुने हुए पार्षद के पास होते हैं. एल्डरमैन के पास वोटिंग का भी अधिकार होता है. यही कारण है कि दिल्ली नगर निगम(MCD) में स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों के चुनाव के समय आम आदमी पार्टी की तरफ से जोरदार विरोध और हंगामा हुआ था.
आम आदमी पार्टी का आरोप
आम आदमी पार्टी उपराज्यपाल वी के सक्सेना पर नगर निगम में एल्डरमैन के चुनाव में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा चुकी है. आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा कि उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने निगम के नियमों में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्ति के बजाय एल्डरमैन के तौर पर भाजपा के कार्यकर्ताओं को नियुक्त किया,जबकि संविधान के आर्टिकल 243R के तहत एल्डरमैन ऐसे व्यक्ति को बनाया जाना चाहिये जिसे निगम का खासा अनुभव हो और जो निगम के नियम कानूनों का विशेषज्ञ हो.