Sunday, September 8, 2024

शिक्षा का अलख जगाने वाले दरभंगा महाराज Darbhanga Maharaj को मिले भारत रत्न ,पोते ने सरकार से की मांग

संवाददाता सुभाष शर्मा, दरभंगा :  अंग्रेजों के जमाने में भी अपने समाज सुधार के कामों के लिए दबदबा रखते थे महाराजा कामेश्वर सिंह. जिनको लोग दरभंगा महाराज Darbhanga Maharaj के नाम से भी जानते थे. महाराज कामेश्वर सिंह के पोते कपिलेश्वर सिंह ने भारत सरकार से मांग की है कि उनके दादा को भारत रत्न सम्मान मिलना चाहिये.दरभंगा महाराज के नाम से सुविख्यात महाराज कामेश्वर सिंह की दरभंगा में जयंती मनाई गई . इस मौके पर दरभंगा महाराज के पोते कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि भारत सरकार लगातार उनके दादाजी के समाज सेवा के लिए किये गये कामों को नजरअंदाज करती रही है.

Darbhanga Maharaj  कामेश्वर सिंह कौन थे ?

आजादी के पहले भारत के रजवाड़ों में दरभंगा स्टेट का अलग ही स्थान था.16वीं सदी में दरभंगा रियासत को मैथिल ब्राह्मण जमींदारों ने बसाया था. दरभंगा स्टेट का मुख्यालय हमेशा से दरभंगा में ही था. इस स्टेट का दायरा बिहार के मिथिला क्षेत्र से लेकर बंगाल तक था. दरभंगा रियासत का दबदबा ऐसा था कि अंग्रेजों के जमाने में महाराज के किले के अंदर तक रेल आती थी. किले के अंदर रेल लाइनें बिछी थीं. दरभंगा रियासत हिंदुस्तान के सबसे अमीर रियासतों में से एक थी. इसी रियासत के राजा थे, महाराजा कामेश्वर सिंह जो, दरभंगा महाराज या दरभंगा नरेश के नाम से जान जाते थे. अपनी दानवीरता के लिए लोकोक्तियों में भी दरभंगा महाराज का नाम लिया जाता है. लोग दानवीरता का उदाहरण देने के लिए दरभंगा महाराज का नाम लेते हैं.

शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में दरभंगा महाराज का अतुलनीय योगदान

दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह आजादी के पहले से ही शिक्षा के क्षेत्र में किये गये अपने अभूतपूर्व काम के लिए जाने जाते थे. दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के प्रति लोक कल्याणकारी सोच के धनी व्यक्तित्व थे. देश में शिक्षा औऱ स्वास्थ्य के प्रति उनकी जागरुकता का ही परिणाम था कि आज उन की दी गई जमीन पर भारत के कई विश्वविद्याल और अस्पताल चलते हैं.  बिहार का प्रसिद्ध ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय का संचालन होता है. इसके अलावा बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) और भारत के पहली  यूनिवर्सिटी कोलकाता यूनिवर्सिटी के निर्माण में दरभंगा रियासत ने अपनी जमीनें दान दी हैं.

दरभंगा महाराज को मिले भारत रत्न -कपिलेश्वर सिंह

अपनी दानवीरता के लिए मिथिलांचल में महाराजाधिराज के नाम से मशहूर सर कामेश्वर सिंह के पोते कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि आज हमारे दादाजी डॉ. सर कामेश्वर सिंह की 116 वीं जयंती है. हमारे दादाजी बहुत बड़े दानी थे. ये बात सभी लोग जानते हैं कि उन्होंने मिथिला और देश के लिए कितना दान दिया. कपिलेश्वर सिंह  ने कहा कि उन्हीं की जयंती के अवसर पर हम लोग मुफ्त चिकित्सा शिविर लगाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे दादाजी डॉ सर कामेश्वर सिंह का शिक्षा जगत सहित सभी क्षेत्रों में योगदान रहा है.

गुम हो रहा है दरभंगा महाराज का नाम – कामेश्वर सिंह,पौत्र

कुमार कपिलेश्वर सिंह ने कहा कि हमें तो लगता है कि इतिहास के पन्नों में कहीं हमारे परिवार का नाम ग़ुम हो गया है. उसे हमें रिवाइव करना है. अगर हमारे दादाजी को भारत रत्न मिलता है तो ये इस क्षेत्र के लोगों के लिए गर्व की बात होगी. दरभंगा ने देश के लिए का बहुत बड़ा योगदान दिया है. उनका यह योगदान बिहार और मिथिला के लिए गर्व की बात है. इस दृष्टिकोण से उन्हें तो भारत रत्न मिलना ही चाहिए.

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