बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दावा करते नहीं थकते कि बिहार में सुशासन का राज है.कानून व्यवस्था चाक चौबंद है लेकिन मुख्यमंत्री के अधिकारी उनके दावे में पलीता लगाने में पीछे नहीं रहते.इसका जीता जागता उदाहरण है समस्तीपुर जिले का प्रशासन जहां अपराध अपने चरम पर है.शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जिस दिन यहां कोई बड़ी वारदात नहीं होती है. अभी 28 जुलाई को एक मुहल्ले में पांच-सात गुंडे घुस गए और युवक को जमकर पीटा. उसे सड़कों पर घसीटते रहे,लात घूंसों से पीटते रहे.इस घटना का वीडियो भी वायरल हो रहा है. घटना दलसिंहसराय थाना क्षेत्र के कदमघाट-गोलापट्टी की बताई गई है. जहां एक मुहल्ले में कुछ गुंडे एक युवक पर टूट पड़े. उसे मारा पीटा गया और सड़क पर घसीटा गया. युवक बचाने की गुहार लगाता रहा,दर्द से चिल्लाता रहा लेकिन कोई मदद करने आगे नहीं आया. जब भीड़ जमा हो गई तो गुंडे फरार हो गए.परिजनों ने स्थानीय लोगों की मदद से घायल युवक को अस्पताल पहुंचाया जहां उसका इलाज चल रहा है. मुहल्ले में लगे सीसीटीवी में पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई.तस्वीरों में गुंडों के चेहरे आसानी से देखे जा सकते हैं.उनके चेहरे पर कानून का कोई ख़ौफ़ नहीं है.खुले आम बेधड़क वे लोग अपराध को अंजाम दे रहे हैं.
अभी दलसिंहसराय के इस वारदात से लोग उबरे भी नहीं थे कि 1 अगस्त को विभूतिपुर में एक व्यक्ति को पीट पीट को मार डाला गया. मॉब लिंचिंग की ये ख़ौफनाक वारदात विभूतिपुर के चकहबीब गांव में घटी.गांव वालों ने एक शख्स को इसलिए पीट पीट कर मार डाला क्योंकि उन्हें शक था कि वो पशु चोर है.बैल चुराने के संदेह में लोगों ने उसे घेर लिया और फिर पीट पीट का मार डाला.घटना रात में घटी लेकिन पुलिस आई अगले दिन सुबह खानापूर्ति करने. जिन लोगों ने पीट कर मार डाला उन्हीं लोगों की मदद से शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले गई.आश्चर्य की बात ये है कि मरने वाले की पहचान नहीं हो पाई. ना पुलिस पहचान पाई और ना ही गांव वाले.फिलहाल तफ्तीश जारी है.
समस्तीपुर की इन दोनों ही घटनाओं में साफ तौर पर दिख रहा है कि अपराधियों और गुंडों में कानून का डर नहीं है और ना ही स्थानीय लोगों को पुलिस पर भरोसा है.इसी वजह से लोग कानून अपने हाथों में लेने से हिचक नहीं रहे हैं. जबकि सरकार का कहना है कि कानून का इकबाल बुलंद है.ऐसी स्थिति में सरकार को देखना होगा कि उनके अधिकारी कानून व्यवस्था की स्थिति को संभाल रहे हैं या नहीं . लोगों में व्यवस्था के प्रति भरोसा जगा पा रहे हैं या नहीं. सरकार को इसका आकलन गंभीरता से करना चाहिए.