22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर सभी राजनीतिक दलों को न्योता भेजा गया है. कांग्रेस में ये न्योता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा गया है तो बाकी पार्टियों के अध्यक्षों को ये न्योता मिला है. एक तरफ जहां कांग्रेस ने अभी ये साफ नहीं किया है कि उनकी ओर से कौन जाएगा. वहीं सीपीएम ने साफ कर दिया है कि वो इस समारोह में शामिल नहीं होंगे
“राजनीति को धर्म से जोड़ना सही नहीं”- बृंदा करात
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के न्योते को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में CPI(M) नेता बृंदा करात ने कहा, “हमारी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होगी… हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं… यह एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण है. यह सही नहीं हैं.”
#WATCH दिल्ली: CPI(M) नेता बृंदा करात ने कहा, “हमारी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होगी… हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं… यह एक धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण है। यह… pic.twitter.com/YpLVyoufC8
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“पहुंचेंगे वही जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है”- मीनाक्षी लेखी
वहीं सीपीएम के समारोह में शामिल नहीं होने के फैसले पर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, “सभी को निमंत्रण भेज दिया गया है लेकिन पहुंचेंगे वही जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है.”
#WATCH केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा, “सभी को निमंत्रण भेज दिया गया है लेकिन पहुंचेंगे वही जिन्हें भगवान राम ने बुलाया है।'” https://t.co/hNr2mXPAjL pic.twitter.com/qsBM7REu36
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वैसे कम्युनिस्ट पार्टियां धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल करने के हमेशा खिलाफ रही है. उनकी विचारधारा के मुताबिक धर्म निजी मामला है जिसे राजनीति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
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