भोपाल : मध्यप्रदेश के धार जिले में भोजशाला Bhojshala में मूर्ति स्थापित करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है . हिंदु-मुस्लिम समुदाय के एक दूसरे के सामने जाने के कारण तनाव बढ़ गया है. तनाव पर नियंत्रण के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है.
Unidentified persons allegedly tried to keep an idol in the #Bhojshala historical building, a disputed 11th century structure, in #Dhar district of #MadhyaPradesh, police said on Sunday.https://t.co/2sCFpstcce
— Deccan Herald (@DeccanHerald) September 10, 2023
Bhojshala में पुलिस तैनात
धार के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत सिंह बकरबाल के मुताबिक भोजशाला Bhojshala में रात के समय कुछ लोगों ने यहां सुरक्षा के लिए लगाये गये बाड़ को काट कर अंदर घुसने की कोशिश की और यहां बने स्मारक में मूर्ति स्थापित करने की कोशिश की. पुलिस को जैसे ही मामले का पता चला , विवाद बढ़ने के अंदेशे को देखते हुए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.
धार की भोजशाला का इतिहास
मध्य प्रदेश के धार जिले में एक प्रसिद्ध भोजशाला है जिसे हिंदु समुदाय विद्या की देवी सरस्वती का मंदिर मानते हैं, वहीं मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद बताते हैं. इसी कारण ये भोजशाला दोनों समुदायों के बीच विवाद की वजह बना हुआ है. दरअसल ये भोजशाला भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है. रिकार्ड्स के मुताबिक इस भोजशाला का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था और इसका नाम राजाभोज के नाम पर रखा गया है . ऐतिहासिक दस्तावेजों में दर्ज है कि यहां पर सन् 1000 से 1055 तक परमार वंश का शासन था. परमार वंश के राजा भोज मां सरस्वती के परम उपासक थे. राजा भोज ने 1034 इस्वी में धार में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला के नाम से जाना जाने लगा. स्थानीय लोग इसे मां सरस्वती का मंदिर मानते हैं.
1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को किया था ध्वस्त
ऐतिहासिक पुस्तकों में दर्ज है कि सन् 1305 इस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने इस भोजशाला पर हमला किया और इसे ध्वस्त कर दिया. बाद में 1401 इस्वी में दिलावर खान गौरी ने ध्वस्त भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद का निर्माण करवा दिया, वहीं सन 1514 में महमूद खिलजी ने भोजशाला के दूसरे हिस्से में भी मस्जिद का निर्माण करवा दिया.
भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान 1875 में यहां अंग्रेजी सरकार ने खुदाई कराई और यहां जमीन के नीचे से मां सरस्वती की मूर्ति मिली जिसे मेजर किनकेड अपने साथ लंदन ले गये और अभी ये प्रतिमा लंदन के संग्रहालय में मौजूद है . इस प्रतिमा को वापस अपने देश लाने के लिए मध्यप्रदेश हाइकोर्ट में याचिका भी डाली गई है.
दरअसल इस इमारत को लेकर हिंदु पक्ष और मुस्लिम पक्ष में विवाद ये है कि हिंदु पक्ष का कहना है कि राजवंश ने कुछ समय के लिए यहां नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी, वहीं मुस्लिम समाज का कहना है कि वे लोग यहां लंबे समय से नमाज पढ़ते आ रहे हैं. मुस्लिम समाज इसे भोजशाला कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं.