विपक्ष के बाद अब RSS को भी महंगाई और गरीबी की चिंता सताने लगी है. आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने देश में बेरोजगारी और आय में बढ़ती असमानता पर चिंता जताई है. संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच के एक वेबिनार में होसबो ने कहा कि “भोजन, कपड़ा और मकान लोगों की बुनियादी जरूरतें हैं और लोग यह चाहते हैं कि इनकी कीमतें सस्ती हो और उनके लिए वहनीय हो.”
होसबोले के इस बयान को कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ों यात्रा का असर बताया है. कांग्रेस के एक के बाद एक दिग्गजों ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर आरएसएस पर निशाना साधा है. जयराम रमेश, पवन खेड़ा और दिग्विजय सिंह ने कहा भारत को तेड़ने वाले अब जोड़ने की बात करने लगे हैं.
कांग्रेस नेताओं ने ली होसबोले के बयान पर चुटकी
महंगाई और बेरोज़गारी को केंद्र सरकार ने मुद्दा मानने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद विपक्ष खासकर कांग्रेस इसे मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की कोशिश में लगी हुई थी. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष राहुल गांधी कई बार इस मुद्दे को मीडिया के सामने उठा चुकें है ऐसे में आरएसएस की महंगाई और असमानता पर चिंता को कांग्रेस अपनी जीत की तरह देख रही है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा हसबोले के बयान को लेकर छपी एक अख़बार की क्लीप शेयर करते हुए तंज किया. “सुना है चिंता के बादल नागपुर पर छाने लगे हैं. अब तो होस्बोले जी को भी बेरोज़गार नज़र आने लगे हैं #भारत_जोड़ो_यात्रा.”
सुना है चिंता के बादल नागपुर पर छाने लगे हैं ~ अब तो होस्बोले जी को भी बेरोज़गार नज़र आने लगे हैं… #भारत_जोड़ो_यात्रा https://t.co/AoV4V4vqQJ
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) October 3, 2022
पवन खेड़ा के अलावा कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने भी ट्वीट किया, ‘‘भारत जोड़ो यात्रा का असर देखिए. जो देश को तोड़ते हैं और समाज में ज़हर फैलाते हैं, वो आज अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए ग़रीबी, बेरोज़गारी और असमानता का मुद्दा उठा रहे हैं.’’
#BharatJodoYatra का असर देखिए। जो देश को तोड़ते हैं और समाज में ज़हर फैलाते हैं, वो आज अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए ग़रीबी, बेरोज़गारी और असमानता का मुद्दा उठा रहे हैं। pic.twitter.com/xSTplWxwIP
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 3, 2022
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किया है. दिग्विजय सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा,‘‘राहुल जी के नेतृत्व में #भारत_जोड़ो_यात्रा का क्या असर हुआ?
•रामदेव नेहरू गांधी परिवार की प्रशंसा करने लगा.
•मोहन भागवत जी मस्जिद मदरसा जाने लगे.
•RSS के महासचिव दत्तात्रय होसाबले जी को भी देश में बड़ती ग़रीबी, अमीर गरीब की बड़ती हुई खाई और बेरोज़गारी की चिंता सताने लगी.
अभी #भारत_जोड़ो_यात्रा को १ महीना भी नहीं हुआ और भाजपासंघ परिवार को देश में महंगाई ग़रीबी बेरोज़गारी की चिंता सताने लगी.”
राहुल जी के नेतृत्व में #भारत_जोड़ो_यात्रा का क्या असर हुआ?
•रामदेव नेहरू गांधी परिवार की प्रशंसा करने लगा।
•मोहन भागवत जी मस्जिद मदरसा जाने लगे।
•RSS के महासचिव दत्तात्रय होसाबले जी को भी देश में बड़ती ग़रीबी, अमीर गरीब की बड़ती हुई खाई और बेरोज़गारी की चिंता सताने लगी।
1/n— digvijaya singh (@digvijaya_28) October 3, 2022
दिग्विजय सिंह अपने ट्वीट में आगे लिखते हैं. “दत्तात्रय जी इस बात को समझ लीजिए मोदी जी की नीतियों के कारण देश के 100 बड़े परिवारों की संपत्ति में बढ़ोतरी हो रही है और देश के गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों की आमदनी घटती जा रही है. आप मोदी जी से इस विषय पर चर्चा क्यों नहीं करते?”
क्या बोले आरएसएस महासचिव दत्तात्रय हसबोले
आरएसएस में मोहन भागवत के बाद महासचिव दत्तात्रय हसबोले दूसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है. उनका महंगाई और बेरोज़गारी पर बोलना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. उनके विचार सरकार के लिए भी खतरे की घंटी की तरह है. ऐसे में जब होसबोले ने कहा कि “गरीबी देश के सामने एक राक्षस जैसी चुनौती के रूप में सामने आ रही है.” तो विपक्ष का उसपर तंज करना लाजमी ही था.
इतना ही नहीं पहली बार किसी सरकारी या बीजेपी समर्थक संस्था की ओर से गरीबी और बेरोज़गारी के आकड़े भी दिए गए. होसबोले ने कहा, ‘देश में चार करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 2.2 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं. श्रम बल सर्वेक्षण में बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत आंकी गई है. हमें रोजगार पैदा करने के लिए न केवल अखिल भारतीय योजनाओं की आवश्यकता है बल्कि स्थानीय योजनाओं की भी आवश्यकता है’ इतना ही नहीं उन्होंने गरीबी पर बात करते हुए कहा कि देश में 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं ‘हमें इस बात का दुख होना चाहिए कि 20 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और 23 करोड़ लोग प्रतिदिन 375 रुपये से भी कम कमा रहे हैं। गरीबी हमारे सामने एक राक्षस जैसी चुनौती है. यह महत्वपूर्ण है कि इस दानव को खत्म किया जाए.’
हलांकि संघ महासचिव ने सरकार को इसके लिए पूरी तरह कटघरे में खड़ा नहीं किया उन्होंने कहा बेरोज़गारी और गरीबी की चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में बहुत से काम किए हैं. लेकिन कोरोना महामारी ने कर हालात को और ख़राब तक दिया.