इंदौर: एमपी के इंदौर शहर में बायपास पर एक कॉलोनी के नौ व्यावसायिक भूखंडों को गांव का स्थान बताकर रजिस्ट्री करने के मामले की जांच शुरू हो गई है। इसमें कई सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि रजिस्ट्री करने से पहले सब रजिस्ट्रार को स्थान देखना होता है, लेकिन यहां इसकी अनदेखी की गई। बड़ी रजिस्ट्री होने के बावजूद वरिष्ठ अधिकारियों ने भी ध्यान नहीं दिया? इस अनियमितता के कारण सरकार को 13 करोड़ का राजस्व नुकसान हुआ है।
13 करोड़ रुपये का नुकसान
सरकार की मंशा है कि इंदौर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 3077 करोड़ रुपये राजस्व वसूली का लक्ष्य हासिल करे। फरवरी तक सरकारी कमाई का आंकड़ा 2100 करोड़ तक ही पहुंचा है। अब और अधिक राजस्व वसूली के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी बीच ढक्क्न वाला कुआं के कार्यालय की अनियमितता सामने आई, जिसमें जिम्मेदारों ने सरकार को 13 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। यह अनियमितता बायपास स्थित डीएलएफ गार्डन सिटी कॉलोनी के नौ व्यावसायिक भूखंडों की रजिस्ट्री में हुई, जिसके लिए गांव की जमीन बताकर दस्तावेज तैयार किए गए थे। मामले की जांच शुरू हो गई है, जिसमें प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। यह भी सामने आ रहा है कि सांवेर की रजिस्ट्री इंदौर में करने की क्या जरूरत थी, जबकि वहां भी कार्यालय है। उप पंजीयक ने रजिस्ट्री करने से पहले लोकेशन क्यों नहीं देखी? यह सभी बिंदु अफसरों की भूमिका पर संदेह पैदा कर रहे हैं। इस विषय पर कोई भी बात करने को तैयार नहीं है।
हर सप्ताह होती है समीक्षा
स्टॉप आईजी हर सप्ताह राजस्व वसूली की समीक्षा कर रहे हैं। इसमें सभी जिलों के मुख्य अफसरों से बात की जाती है। सवाल यह भी उठ रहा है कि बायपास के व्यावसायिक भूखंडों की महंगी रजिस्ट्री को लेकर इंदौर के वरिष्ठ अफसरों ने क्या समीक्षा की और अगर नहीं की तो क्यों नहीं की? रजिस्ट्री हुए पांच महीने हो गए, लेकिन उन्होंने इसकी जांच कर इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया? वरिष्ठ अफसर ने भी बड़ी रजिस्ट्री पर नजर नहीं रखी।