तेजी बदलती इस दुनिया में AI तकनीक ने क्रांति ला दी है. स्कूल ऑफिस के काम से लेकर घर के कामों में AI की मदद ली जा रही है. इसी AI तकनीक को चीन और रूस जंग के मैदान में लेजाने में लगे हैं, चीन और रूस हवाई युद्ध में AI के इस्तेमाल की तकनीक विकसित करने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं. इस काम में चीन को बड़ी कामयाबी मिली है. चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने हवाई युद्ध में AI की ऐसी उपलब्धि प्राप्त की है किया भविष्य में युद्ध के तरीके ही बदल देगी.
हवाई युद्ध के भविष्य को नया आकार देने वाली एक महत्वपूर्ण उपलब्धि में, चीनी वैज्ञानिकों ने एयर फाइट में इस AI तकनीक की मदद से मानव की निर्भरता खत्म करने का दावा किया है.
पिछले साल बताया गया था कि ये तकनीक इन्फ्रारेड इमेजिंग को AI-संचालित पूर्वानुमानात्मक मॉडलिंग के साथ जोड़ती है, जिससे छोटे पंख-पूंछ की गतिविधियों का पता लगाकर दुश्मन की चाल का अनुमान लगाया जा सकता है.
अमेरिका F-15 को भी कर देगा तबाह
उत्तर-पश्चिमी शहर जियानयांग में स्थित नॉर्थवेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों के एक दल के मुताबिक यह एक ऐसा विकास है, जो अमेरिका निर्मित F-15 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों को भी रक्षाहीन बना सकता है.
जर्नल ऑफ गन लॉन्च एंड कंट्रोल के दिसंबर एक लेख में मौजूदा AI वायु युद्ध प्रणालियों की कुछ गंभीर खामी को बताया गया था. इसमें खाया गया था कि अचानक आई परिस्थिति में AI को गैर-रेखीय युद्धाभ्यासों को समझने में कठिनाई पैदा हो सकती है.
दुश्मन के लिए काल
वरिष्ठ इंजीनियर के नेतृत्व में चीनी टीम ने दुश्मन के विमानों की चाल पर ध्यान केंद्रित उनसे निपटने का तरीका खोज लिया है. उन्होंने इन्फ्रारेड छवियों को देखने के लिए YOLOv8 न्यूरल नेटवर्क के एक खास संस्करण का इस्तेमाल किया है.
यह नेटवर्क विमान की नियंत्रण सतहों में छोटे बदलावों को देख सकता है, जैसे कि F-15 जैसे विमानों के पतवार (1.5 मीटर या लगभग पांच फीट) या लिफ्ट (2 मीटर या लगभग 6.5 फीट), जब वे उड़ रहे होते हैं. सिस्टम फिर इस जानकारी को एक प्रकार के AI को भेजता है, जिसे लॉन्ग शॉर्ट-टर्म मेमोरी (LSTM) नेटवर्क कहा जाता है, जिसे महत्वपूर्ण विवरणों पर ध्यान देने के लिए सुधारा गया है. इससे AI को विमान की अगली चालों का अनुमान लगाने में मदद मिलती है.