मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों के प्रवेश की राज्य और केंद्र शासित प्रदेश करें जांच. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने पत्र लिख राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे मदरसों की जांच करने के लिए कहा है जो गैर मुस्लिम बच्चों को अपने यहां प्रवेश दे रहे है. एनसीपीसीआर ने सभी सरकारों से सरकारी वित्त पोषित/मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच करने को कहा है.आयोग ने ये निर्देश कुछ ऐसी शिकायतों के मिलने के बाद लिया है जिसमें कहा गया था कि कुछ मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों को बिना उनके परिजनों की इजाजत के धार्मिक शिक्षा दी जा रही है.
कुछ बच्चे मदरसों जैसे संस्थानों में दाखिला ले रहे हैं-आयोग
आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि हाल फिलहाल में, देश भर के कई राज्यों में कुछ बच्चे मदरसों जैसे संस्थानों में दाखिला ले रहे हैं. आयोग को बताया गया है कि मदरसे तीन तरीके के होते हैं- मान्यता प्राप्त, अमान्यता प्राप्त और अनमैप्ड. इन मदरसे का मुख्य उद्देश्य बच्चों को धार्मिक शिक्षा देना होता है. जिन मदरसों को सरकार से वित्त सहायता मिलती है या सरकार उन्हें मान्यता देती है, उन मदरसों में बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा भी दी जाती है.
माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने से रोकता है संविधान
पत्र में कहा गया है कि आयोग को अलग-अलग स्रोतों से पता चला है कि कई गैर-मुस्लिम समुदाय के बच्चे सरकारी वित्तपोषित/मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे हैं. इसके साथ ही ये भी पता चला है कि कुछ राज्य सरकारें उन्हें छात्रवृत्ति भी दे रही हैं. जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 28(3) का स्पष्ट उल्लंघन है. संविधान शैक्षणिक संस्थानों को माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को किसी भी धार्मिक शिक्षा में भाग लेने के लिए बाध्य करने से रोकता है.
सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग करने के दिए निर्देश
अपने पत्र में आयोग ने सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए है कि, “आपके राज्य क्षेत्र में गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले सभी सरकारी वित्तपोषित/मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच की जाए. वहीं जांच में ऐसे मदरसों में जाने वाले बच्चों का भौतिक सत्यापन शामिल होना चाहिए. आयोग ने ये भी कहा कि जांच के बाद ऐसे सभी बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में प्रवेश दिलाएं.”
आयोग ने सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग करने के भी निर्देश दिए हैं. आयोग ने मुख्य सचिवों को एक महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है.