छत्तीसगढ़ में पूर्व की कांग्रेस सरकार में बनाए गए गौठान अब गोधाम बनाए जाएंगे. जहां राज्य सरकार ने 20 साल पुराने नियम में बदलाव किया है. वहीं इसके तहत गौधामों को 25 लाख रुपए का अनुदान मिलेगा. किसी प्रकार की गड़बड़ी करने पर कड़े दंड का भी प्रावधान है. गौधाम संचालन के लिए अलग-अलग काम के लिए राशि का प्रावधान होगा.
अब गौठान बनेंगे गौधाम, मिलेगा 25 लाख रुपए अनुदान
गोधाम को लेकर सबसे खास बात ये है कि इसके संचालन के लिए साल में 25 लाख रुपयों तक का अनुदान दिया जाएगा. इसके साथ ही किसी भी प्रकार की गड़बड़ी करने पर कड़े दंड का प्रावधान भी किया गया है. राज्य सरकार के पशुधन विकास विभाग ने गौठानों को गोधाम बनाने के लिए गो सेवा आयोग के 20 साल पुराने नियम में बदलाव किया है.
गड़बड़ी करने पर मिलेगी सजा
इसके तहत छत्तीसगढ़ गो-सेवा आयोग में पंजीकृत गौशाला समिति द्वारा संचालित गोधाम के पंजीयन की प्रक्रिया तय की गई है. जिले में निराश्रित, घुमन्तु गोवंशीय पशुओं के विस्थापन के लिए आवश्यकतानुसार शासकीय भूमि या ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित गौठान का चिन्हांकन कर गोधाम स्थापना का प्रस्ताव कलेक्टर द्वारा रजिस्ट्रार, छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग को भेजा जायेगा.
कैसे तैयार होंगे गौधाम?
छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 के तहत जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम बनाए जाएंगे, जो गौशालाओं से अलग होंगे. पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्गों के पास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित होंगे. इनमें स्थानीय निकायों द्वारा एकत्रित निराश्रित गौवंश और गृह विभाग द्वारा कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 (संशोधित 2011) व नियम 2014 के तहत जब्त गौवंश रखे जाएंगे.
शासकीय भूमि पर गौधाम का संचालन
गौधाम शासकीय भूमि पर बनेंगे, जहां बाड़ा, शेड, जलापूर्ति और बिजली की सुविधा होगी. मौजूदा गौठानों को प्राथमिकता दी जाएगी और चारागाह भूमि हरे चारे के लिए उपलब्ध होगी. संचालक संस्था को भूमि या अवसंरचना पर स्वामित्व का अधिकार नहीं होगा.
गौधाम के उद्देश्य
गौ-आधारित उत्पादों को बढ़ावा देना
चारा विकास कार्यक्रम को प्रोत्साहन
प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकास
पशुओं की नस्ल सुधार
गौसेवा के प्रति जागरूकता फैलाना
स्थानीय रोजगार सृजन
प्रत्येक गौधाम में अधिकतम 200 गौवंश रखने की क्षमता
जिला और ब्लॉक स्तर पर निगरानी
गौधाम के संचालन की निगरानी के लिए जिला और ब्लॉक स्तर की समितियां बनेंगी. उत्कृष्ट गौधामों को दूसरे वर्ष से प्रति पशु प्रतिदिन 20 रुपए, तीसरे वर्ष 30 रुपए और चौथे वर्ष 35 रुपए अनुदान मिलेगा.
पहले चरण में एनएच के किनारे गौधाम
पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्गों के निकट ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम बनेंगे, ताकि सड़क हादसों में गौवंश की मौत रोकी जा सके. इससे गौसेवा को मजबूती मिलेगी, किसानों को फसल नुकसान से राहत मिलेगी और सड़क हादसे कम होंगे. आदेश लागू होते ही जमीन चयन और संचालन समितियों का गठन शुरू होगा.
संस्थाओं की चयन प्रक्रिया
गौधाम संचालन के लिए संस्था का चयन “रुचि की अभिव्यक्ति” (EOI) के आधार पर छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग करेगा. जिला स्तरीय समिति आवेदनों का मूल्यांकन कर चयनित संस्था का प्रस्ताव आयोग को भेजेगी. अनुमोदन के बाद संस्था के साथ अनुबंध किया जाएगा.