छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके ने सीएम भूपेश बघेल को एक पत्र लिखा एसटी आरक्षण मामले में अबतक की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है. राज्यपाल का कहना है क्योंकि छत्तीसगढ़ जनजातीय बाहुल्य प्रदेश है इसलिए ये उनकी जिम्मेदारी है कि वो बतौर राज्यपाल राज्य के जनजातीय हितों की रक्षा करें.
क्या है आदिवासी आरक्षण का मामला
19 सिंतबर 2022 को बिलासपुर हाई कोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था को रद्द कर दिया था. जिसके बाद एसटी (आदीवासी) आरक्षण 12 प्रतिशत घट गया. कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में 2011 की स्थिति लागू हो गई है. जिसके आधार पर आरक्षण व्यवस्था में एसटी आरक्षण जो वर्तमान में 32 प्रतिशत था अब घटकर 20 प्रतिशत रह गया है. वहीं ओबीसी 14 प्रतिशत पर बरकरार है तो एससी आरक्षण 13 से 3 प्रतिशत बढ़कर 16 हो गया है. इसी बात को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान मचा हुआ है.
राज्यपाल के पत्र के बाद बीजेपी हुई हमलावर
राज्यपाल के पत्र लिखने के बाद छत्तीसगढ़ बीजेपी आदिवासी आरक्षण को लेकर कांग्रेस पर हमला वर हो गई है. बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों का आरक्षण छीना लिया है. बीजेपी का कहना है कि मुख्यमंत्री को राज्यपाल से ये जानकारी साझा करनी चाहिए कि इस मामले में अबतक क्या हुआ है. बीजेपी ने कहा कांग्रेस चाहती थी की आदिवासी आरक्षण आरक्षण चला जाए. उन्होंने इसे आदिवासियों के साथ किया गया धोखा करार दिया.
कांग्रेस ने दिया बीजेपी को करार जवाब
बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त पलटवार किया है. कांग्रेस ने कहा कि उनकी सरकार आदिवासियों को उनका हक दिलाने के लिए कटिबद्ध है. कांग्रेस का कहना हे कि हाई कोर्ट में आरक्षण की जो कटौती हुई इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की सरकार जिम्मेदार है. रमन सिंह सरकार की लापरवाही के चलते कोर्ट में ये फैसला आया. कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि ननकीराम कंवर कमेटी की रिपोर्ट को बीजेपी ने क्यों छुपाई. कांग्रेस ने कहा कि इस मामले को हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सुप्रीम कोर्ट ले गए हैं. और अगर जरूरत होगी तो वो विधानसभा का स्पेशल सत्र भी बुलाएंगे.
छत्तीसगढ़ :आदिवासी आरक्षण पर राज्यपाल के पत्र से सियासत तेज़, कांग्रेस ने कहा रमन सिंह की गलती से कम हुआ आरक्षण
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