Chhattisgarh NEWS: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकी (एफआईआर) को खारिज कर दिया है और कहा है कि पिछली कांग्रेस नीत सरकार के दौरान दर्ज किए गए आरोप “दुर्भावनापूर्ण” थे.
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया.
आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और जबरन वसूली के केस थे दर्ज
1994 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति, देशद्रोह और जबरन वसूली के आरोप 2021 में दर्ज किए गए थे.
2021 में, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उनके खिलाफ पहली बार एफआईआर दर्ज की थी और उनकी जांच से पता चला था कि सिंह ने कथित तौर पर अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की है.
Chhattisgarh NEWS: ₹10 करोड़ की चल और अचल संपत्ति मिलने का था दावा
1 जुलाई से 3 जुलाई, 2021 तक की गई तलाशी के बाद अनुमानित ₹10 करोड़ की चल और अचल संपत्ति का पता चला. छापेमारी के बाद, सिंह को 5 जुलाई, 2021 को निलंबित कर दिया गया और रायपुर पुलिस ने तलाशी के दौरान बरामद सामग्री के आधार पर उन पर देशद्रोह और दुश्मनी को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए अतिरिक्त आरोप दर्ज किए.
बाद में 2021 में दुर्ग जिले के सुपेला थाने में 2015 की एक घटना से जुड़ा रंगदारी का मामला भी दर्ज किया गया था.
जनवरी 2022 जीपी सिंह को किया गया था गिरफ्तार
जनवरी 2022 में, सिंह को आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसी वर्ष मई में उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा सशर्त जमानत दे दी गई थी.
सिंह को बाद में जुलाई 2023 में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई, हालांकि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने अप्रैल 2024 में उनकी बहाली का आदेश दिया.
छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने एफआईआर को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले की पुष्टि की, सिंह की कानूनी टीम ने इस कदम की सराहना की, जिन्होंने कहा कि आरोप निराधार थे.
ये भी पढ़ें-Waqf Board case: दिल्ली की एक अदालत ने आप विधायक अमानतुल्लाह खान को दी जमानत, रिहा करने का भी दिया आदेश