रायपुर : सीएम भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख है. पत्र में बघेल ने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि 2022 में छत्तीसगढ़ विधानसभा में विभिन्न वर्गों, अनुसूचित जाति. अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग , अति पिछड़ा वर्ग को लेकर जो प्रस्ताव पारित किये गये थे , उसे संविधान के नौवीं अनूसुचि में शामिल करें. 2022 में आरक्षण रद्द होने के बाद विधानसभा ने सर्वसम्मति से सदन में आरक्षण को लेकर प्रस्ताव पारित किया था. इस नये प्रस्ताव में जनसंख्या के आधार पर उन्हें आरक्षण देने की बात कही गई थी.
जितनी आबादी, उतना हक!
आज माननीय @PMOIndia को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा दिसम्बर 2022 में राज्य के विभिन्न वर्गों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और ई.डब्ल्यू.एस. के लोगों को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने के उद्देश्य से पारित विधेयक के अनुसार आरक्षण… pic.twitter.com/pPiLcGdQL3
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) April 17, 2023
छत्तीसगढ़ में किसे कितना आरक्षण ?
2022 में छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रस्ताव पास कराया था उसके मुताबिक अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत और EWS को 32 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था. हलांकि सदन मेँ ये आरक्षण प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया था लेकिन प्रस्ताव को राज्यपाल से स्वीकृति नहीं मिली जिसके कारण अब तक ये प्रस्ताव लटका हुआ है.
राज्यपाल अनुसूइयया उइके से मिली मिली मंजूरी
छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे मे राज्य की भूपेश बघेल सरकार चाहती है कि ये आरक्षण प्रस्ताव जल्द से जल्द लागू हो जाये.इस प्रस्ताव को अगर राज्यपाल से स्वीकृति मिल गई होती को ये राज्य सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर गिनाई जा सकती थी. लेकिन राज्यपाल की सहमति ना मिलने के कारण अब तक ये लटका हुआ है.
एडमिशन से लेकर नौकरी तक,सब रुका
आरक्षण की स्थिति साफ ना होने के कारण राज्य में एडमिशन से लेकर नौकरी की वैकेंसी तक लटकी हुई है. सरकार का कहना है कि आरक्षण की स्थिति स्पष्ट किये बिना वैकेंसी या एडमिशनल मुश्किल है . आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही नये एडमिशन या किसी नौकरी के लिए वैकेंसी निकाली जा सकेगी.
ऐसे में एक बार फिर से भूपेश बघेल सरकार ने राज्य में आरक्षण का फुटबॉल केंद्र मे ममोदी सरकार की तरफ सरका दिया है.