Chandrayaan 3 Mission: इस वक्त हर हिन्दुस्तानी और साथ ही पूरी दुनिया की नज़रें टिकी हैं. भारत की सबसे महत्वाकांक्षी मिशन चंद्र यान तीन पर. भारत का चंद्रयान-3 चांद की देहलीज़ तक पहुंच गया है. चंद्र यान की कक्षा सोमवार को एक बार फिर घटाई गई. इसके साथ ही चंद्रमा की सतह से यान की दूरी अब सिर्फ 163 किलोमीटर है. पांच अगस्त को चंद्रमा के कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा तीसरी बार बदली गई है.
आपको बता दें इससे पहले 6 और 9 अगस्त को कक्षा बदली गई थी. कक्षा घटाने की अगली प्रक्रिया 16 अगस्त को सुबह 8:30 बजे यानी आज हुई. अभी तक मिशन बिलकुल समय और सही गति के साथ आगे बढ़ रहा है.
इस मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही ‘चंद्रयान-3’ की कक्षा को धीरे-धीरे कम करने और इसकी स्थिति चंद्र ध्रुवों के ऊपर करने के लिए इसरो द्वारा कवायद की जा रही है. 16 अगस्त को 100 किलोमीटर की कक्षा तक पहुंचाने के लिए एक बार फिर कक्षा घटाई गई है. बता दें 23 अगस्त को चंद्रयान के लैंडर-रोवर की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी. अगर ऐसा होता है तो हमारा मिशन लगभग आज से ज्यादा पूरा हो जाएगा.
एक और सफल कदम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानी 16 अगस्त को चौथी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट बदली. अंतरिक्ष यान अब चंद्रमा की 163 Km की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया है. इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने सुबह करीब 08:30 बजे यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए. बता दें कि इससे पहले चंद्रयान 177 Km की ऑर्बिट में था.
Chandrayaan-3 Mission:
Today’s successful firing, needed for a short duration, has put Chandrayaan-3 into an orbit of 153 km x 163 km, as intended.
With this, the lunar bound maneuvres are completed.
It’s time for preparations as the Propulsion Module and the Lander Module… pic.twitter.com/0Iwi8GrgVR
— ISRO (@isro) August 16, 2023
Chandrayaan 3 Mission में आगे क्या?
ISRO ने एक ट्वीट में बताया कि 17 अगस्त चंद्रयान-3 के लिए काफी अहम दिन होने वाला है. इस दिन चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग किया जाएगा. इसके बाद फिर इसे चांद की सतह पर लैंड किया जाएगा. चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं. लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक रिसर्च करेंगे.
‘आज की सफल फायरिंग, जो थोड़े समय के लिए आवश्यक थी, इसके साथ ही चंद्रयान युद्धाभ्यास पूरा हो गया है. अब तैयारियों का समय आ गया है क्योंकि प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हो रहे हैं. लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग करने की योजना 17 अगस्त, 2023 को बनाई गई है.’
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशंस का अध्ययन करेगा. लैंडर और रोवर चांद पर पानी की खोज करेंगे. बता दें कि 22 दिन तक पृथ्वी का चक्कर लगाने के बाद चंद्रयान-3 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था. इसके बाद 6, 9 और 14 और आज 16 अगस्त को इसके ऑर्बिट को घटाया गया . चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर लैंड करते ही भारत लैंडर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा. और चाँद के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश। वैसे बता दें 14 जुलाई को रवाना हुआ चंद्रयान पृथ्वी की अलग अलग कक्षाओं में चक्कर लगाने के बाद पहली अगस्त को स्लिंगशाट के बाद पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की कक्षा की ओर बढ़ा था. ये मिशन अगर पूरा होता है तो अंतरिक्ष की दुनिया में भारत का दबदबा कई गुना बढ़ जाएगा.