Friday, September 19, 2025

जलवायु संकट की कीमत भारी, 131 लाख करोड़ की चपेट में आएगी वर्ल्ड इकॉनॉमी

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व्यापार: जलवायु परिवर्तन के कारण अगले 25 वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था को कम-से-कम 1.5 लाख करोड़ डॉलर (करीब 131 लाख करोड़ रुपये से अधिक) का नुकसान उठाना पड़ सकता है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की तरफ से बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में खाद्य एवं कृषि, ढांचागत परिवेश निर्माण, स्वास्थ्य एवं देखभाल और बीमा क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल असर के आकलन के आधार पर यह अनुमान लगाया गया है।

उत्पादकता के स्तर पर होने वाले इस नुकसान के आकलन पर डब्ल्यूईएफ ने यह अध्ययन रिपोर्ट बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के साथ मिलकर तैयार की है। रिपोर्ट बताती है कि 1.5 लाख करोड़ डॉलर का यह आर्थिक नुकसान तो केवल खाद्य एवं कृषि, ढांचागत परिवेश निर्माण, स्वास्थ्य एवं देखभाल जैसे तीन क्षेत्रों में ही हो सकता है। ऐसे में स्पष्ट है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर वास्तविक बोझ इससे कहीं अधिक हो सकता है।

अध्ययन में कंपनियों से अपने कार्यबल की सेहत पर प्राथमिकता के साथ ध्यान देने, परिचालन में लचीलापन लाने और उत्पादकता सुरक्षा के लिए तात्कालिक तौर पर उपयुक्त कदम उठाने का आह्वान किया गया है ताकि जलवायु अनुकूलन का प्रबंधन किया जा सके। डब्ल्यूईएफ के प्रमुख (जलवायु जुझारूपन) एरिक व्हाइट ने कहा, कर्मचारियों के स्वास्थ्य की रक्षा अब कारोबारी निरंतरता और दीर्घकालिक मजबूती के लिए आवश्यक हो गई है। अनुकूलन में हर साल की देरी स्वास्थ्य और उत्पादकता का जोखिम बढ़ाती है तथा लागत भी बढ़ती है।

अव्यवस्था के कारण बढ़ेंगे बीमा दावे
रिपोर्ट कहती है कि खाद्य एवं कृषि क्षेत्र में जलवायु जोखिमों की वजह से 740 अरब डॉलर तक का नुकसान वैश्विक खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, जबकि ढांचागत परिवेश निर्माण (घर, दफ्तर, पार्क आदि बनाने) में 570 अरब डॉलर और स्वास्थ्य क्षेत्र में 200 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। वहीं, बीमा उद्योग को जलवायु जोखिम के चलते स्वास्थ्य दावों में तेज बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।

लाखों नौकरियों पर मंडरा रहा है खतरा
रॉकफेलर फाउंडेशन के उपाध्यक्ष (स्वास्थ्य) नवीन राव ने कहा, तापमान बढ़ने से लाखों नौकरियां असुरक्षित होती जा रही हैं या फिर पूरी तरह खत्म होती जा रही हैं। इससे परिवार बेहद गरीबी की स्थिति में धकेले जा रहे हैं। रिपोर्ट बताती है कि जलवायु स्वास्थ्य अनुकूलन में जल्द निवेश करने वाली कंपनियां जोखिम घटाने के साथ नवाचार और विकास के नए अवसर भी हासिल कर सकती हैं। इसमें जलवायु-लचीली फसलें, गर्मी से बेअसर दवाएं, शीतलन प्रौद्योगिकी और बीमा के नए मॉडल जैसी पहल का उल्लेख किया गया है।

अनुकूलन के अनुरूप वित्त पोषण न होना चिंताजनक
बीसीजी की प्रबंध निदेशक और साझेदार एलिया तियाम्बजिस ने कहा, स्वास्थ्य अनुकूलन पर गति बढ़ रही है, लेकिन वित्तपोषण और कार्यान्वयन अभी जरूरत से काफी कम है। यह निष्कर्ष डब्ल्यूईएफ की टिकाऊ विकास प्रभाव बैठक-2025 से पूर्व जारी किया गया है, जबकि ब्राजील में जलवायु शिखर सम्मेलन सीओपी-30 की तैयारियां जारी हैं।

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