व्यापार: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा रुपया ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। बुधवार को रुपया 88.71 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। रुपये में गिरावट की वजह से देश में आयातित उत्पाद महंगे होने की आशंका बढ़ गई है, जिसकी वजह से जीएसटी कटौती का लाभ भी कम होने की संभावना बढ़ रही है।
एच1-बी वीजा पर शुल्क लगने से रुपया दबाव में है। व्यापार नीति की अनिश्चितता के बीच विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण भी गिरावट आई है और यह सार्वकालिक निचले स्तर पर है। मई से रुपये में अब तक 4.7 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है, जिससे आयात-निर्भर क्षेत्रों की लागत बढ़ गई है। सोना, कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक व खाद्य तेलों की देश में आने की लागत 8 से 12 फीसदी तक बढ़ गई है। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे मोबाइल फोन, लैपटॉप, टीवी पर जीएसटी में राहत मिली है, लेकिन सितंबर में इनकी लागत 2025 की दूसरी तिमाही की तुलना में 6-11 फीसदी ऊंची है। इससे जीएसटी कटौती का फायदा 60 से 90 फीसदी तक कम हुआ है। महंगे आयात से जीएसटी कटौती के बावजूद ज्यादातर आयातित दवाइयों व मेडिकल उपकरण की रिटेल कीमतें स्थिर या थोड़ी ऊंची बनी हुई हैं।
यह होगा असर
आयातित श्रेणियों में जीएसटी कटौती के लाभ को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में कमी आएगी। आयात लागत बढ़ने से कंपनियों के लिए रिटेल छूट बढ़ाना मुश्किल होगा। महंगे आयात से घरेलू निर्माता और रिटेलर्स को फायदा होगा, जबकि आयातक एशियाई देशों से सोर्सिंग शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं।