Friday, October 31, 2025

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा बोले: चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने दिखाई मजबूती

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व्यापार: वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत ने खुद को संभाला है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राजकोषीय अनुशासन और मौद्रिक व सरकारी नीतियों के बीच मजबूत तालमेल ने भारत को कठिन वैश्विक परिस्थितियों में भी महंगाई पर नियंत्रण रखने और आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने में अमह भूमिका निभाई है। मल्होत्रा ने यह बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठकों के दौरान एशिया व प्रशांत विभाग के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन के साथ बातचीत में कही।

तालमेल ने भारत की स्थिरता बनाए रखने में मदद की
उन्होंने कहा कि उभरती बाजारों के लिए बढ़ते टैरिफ और कमोडिटी कीमतों में उतार-चढ़ाव के बीच महंगाई को नियंत्रित रखना बड़ी चुनौती रही है। ऐसे में केंद्रीय बैंक और राजकोषीय अधिकारियों के बीच तालमेल ने भारत को स्थिरता बनाए रखने में मदद की है।

राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.4 प्रतिशत तक कम करने का अनुमान
मल्होत्रा ने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से अपनाई गई राजकोषीय उदारता ने भी इसमें मदद की है। राजकोषीय घाटा अब बहुत ही प्रबंधनीय स्तर पर है, जिसे अब केंद्र सरकार के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 4.4 प्रतिशत तक कम करने का अनुमान है। राज्य और केंद्र दोनों सरकारों का कुल ऋण बड़ी ऋण अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है। मुझे लगता है कि केवल जर्मनी ही ऐसा है जिसका सार्वजनिक ऋण स्तर इससे कम है।

इस वर्ष डॉलर 10 प्रतिशत तक गिरा
उन्होंने कहा कि विनिमय दर में अस्थिरता के प्रबंधन के बारे में मल्होत्रा ने कहा कि हालांकि उभरते बाजारों की मुद्राएं डॉलर के मुकाबले काफी अस्थिर रही हैं, लेकिन भारत का दृष्टिकोण किसी विशिष्ट स्तर को लक्ष्य करने के बजाय रुपये की व्यवस्थित गति सुनिश्चित करना रहा है।

मल्होत्रा ने कहा कि देखिए, इस वर्ष डॉलर अपने चरम से लगभग 10 प्रतिशत तक गिर चुका है और अब यह एक सीमित दायरे में ही चल रहा है। दूसरी ओर, भारतीय रुपये में डॉलर के मुकाबले उतनी वृद्धि नहीं हुई है, जबकि इस वर्ष स्वतंत्रता के बाद अधिकांश अन्य मुद्राओं में वृद्धि हुई है। उन्होंने इसके लिए उच्च टैरिफ और कुछ पूंजी बहिर्वाह को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही कहा कि समय के साथ भारतीय रुपये और इक्विटी का प्रदर्शन मजबूत रहा है।

रुपया दूसरों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुक्ति दिवस से पहले, यानी 2024 से, भारतीय शेयर बाजार और भारतीय रुपया वास्तव में दूसरों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए, एक तरह से, यह एक सुधार भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का विदेशी मुद्रा बाजार गहरा और मजबूत है व केंद्रीय बैंक का ध्यान स्थिरता बनाए रखने पर है।

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