Thursday, October 16, 2025

विशेषज्ञों का अनुमान: GST में कमी से कंपनियों के कारोबार में तेजी

- Advertisement -

व्यापार: देश में नई जीएसटी दरें आज यानी नवरात्र के पहले दिन से लागू हो गईं हैं। जानकारों के अनुसार जीएसटी दरों में कटौती लागू होने के बाद इस वित्त वर्ष में भारतीय कंपनियों के राजस्व में 6 से 7 प्रतिशत बढ़त का अनुमान है। यह पिछले अनुमान से 25 से 50 आधार अंक अधिक है। इस कटौती का उपभोग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो कॉर्पोरेट राजस्व का 15 प्रतिशत हिस्सा है।

भारतीय कंपनियों का राजस्व बढ़ने की उम्मीद
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जीएसटी दरों में कटौती उपयुक्त समय पर की गई है, क्योंकि वैश्विक अनिश्चितताएं जारी हैं। साथ ही यह भारत में त्योहारों और शादियों के मौसम से मेल खाता है, जब उपभोग सालाना आधार पर अपने चरम पर होता है।  भारतीय कंपनियों का राजस्व इस वित्त वर्ष में बढ़ने की संभावना है।

एफएमसीजी और ऑटोमोबाइल क्षेत्र को होगा फायदा
क्रिसिल इंटेलिजेंस के शोध निर्देशक पुशन शर्मा के अनुसार नई जीएसटी दरें प्रमुख क्षेत्रों जैसे कि एफएमसीजी उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और ऑटोमोबाइल के उत्पादों की कीमतों को कम करेंगी। हालांकि जीएसटी व्यवस्था में मुनाफाखोरी रोधी प्रावधान मार्जिन प्रोफाइल पर किसी भी तरह से प्रभाव को सीमित कर सकता है।

जीडीपी में सकारात्मक असर होने की संभावना
एचडीएफसी ट्रू की रिपोर्ट के अनुसार यह कदम जीएसटी कर ढांचे को सरल बनाने और भारत के आर्थिक पुनरुद्धार में सहयोग के लिए महत्वपूर्ण योगदान देगा। लगभग 90 प्रतिशत उत्पाद कैटेगरी पर कर दर कम किए जाने से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)  पर सकारात्मक असर पड़ने का अनुमान है। 

इसमें कहा गया है कि दरों में कटौती का प्रभाव उपभोग वृद्धि को बढ़ाएगा। यह वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी वृद्धि को 20 से 30 आधार अंकों तक बढ़ा सकता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव की भरपाई करेगा। इससे कंपनियों के मार्जिन में सुधार आने की उम्मीद है।

एयरलाइंस उद्योग पर अधिक प्रभाव नहीं
एयरलाइंस सेक्टर पर इसका बहुत कम प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इकोनॉमी क्लास के हवाई टिकटों पर जीएसटी 5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा गया है। वहीं प्रीमियम इकोनॉमी बिजनेस और फर्स्ट क्लास पर जीसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत हो जाएगा। शोध के अनुसार घरेलू एसरलाइंस के इकोनॉमी क्लास का राजस्व में कुल योगदान 92 प्रतिशत है और इस क्लास पर वृद्धि का कोई विशेष असर नहीं होगा। इसलिए उद्योग पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की बिक्री आगे भी बढ़ेगी
क्रिसिल इंटेलिजेंस के शोध के अनुसार एयर कंडीशनर और टेलीविजन सेट (32 इंज से अधिक) की अधिकतम रिटेल कीमतों में 7 से 8 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है। इसमें कहा गया है कि हमें उम्मीद है कि कंपनियां कम दरों का पूरा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाएंगी। इस वित्त वर्ष में मॉनसून जल्दी आने के कारण बिक्री में गिरावट आई है। पहली तिमाही में बिक्री की मात्रा पिछले साल की तुलना में 10 से 15 प्रतिशत कम है।

बिक्री के लिहाज से बड़े उपकरणों (जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन) में इन दोनों उत्पादों की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से भी अधिक है। टिकाऊ वस्तुएं एक मूल्य संवेदनशील क्षेत्र होने की वजह से हमें उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष में एयर कंडीशनर और टीवी की बिक्री में क्रमश: 3 से 5 प्रतिशत और 5 से 6 प्रतिशत की तुलना में 100 से 200 आधार अंकों का सुधार होगा।

कीमतों में गिरावट से प्रीमियम उत्पादों की मांग बढ़ेगी
शोध कहता है यह वैसा ही है जैसा वित्त वर्ष 2019 में हुआ था, जब वॉशिंग मशीनों पर जीएसटी में कटौती से वॉल्यूम में 50 से 100 आधार अंकों की बढ़ोतरी हुई थी। उस साल रुपये के कमजोर होने और कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि होने की कारण कंपनियों ने पहली तिमाही में वॉशिंग मशीन की कीमतों में इजाफा किया था। नतीजतन जीएसटी में 10 प्रतिशत की कमी के बावजूद एमआरपी पर शुद्ध कीमत में 3-3.5 प्रतिशत की गिरावट आई। हालांकि इस बार उपभोक्ताओं द्वारा इन दोनों सेगमेंट में खरीदारी बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि कीमतों में गिरावट से प्रीमियम उत्पादों की मांग बढ़ेगी।

दरों को 28 प्रतिशत से घटकार 18 प्रतिशत पर किया गया
इस बारे में टाटा ग्रुप की एसी और फ्रीज निर्माता कंपनी वोल्टास के प्रवक्ता का कहना है कि एयर कंडीशनर, वॉशिंग मशीन, रेफ्रीजरेटर और डिशवॉश जैसे बड़े उपकरणों पर जीएसटी दरों को 28 से घटाकर 18 प्रतिशत किए जाने से उपभोक्ता मांग को बल मिलेगा। खासकर त्योहारों के मौसम के करीब आते ही, देश भर में खरीदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इस बिक्री को केवल हम त्योहारों के लिए अल्पकालिक बढ़ावे के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि बाजार में गहरी पैठ और स्मार्ट टिकाऊ जीवन की ओर बदलाव के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में भी देखते हैं।

एफएमसीजी कंपनियों की शहरी खपत में सुधार होगा
शोध के अनुसार फास्ट मूविंग कज्यूमर गुड्स यानी एफएमसीजी क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से सुस्त खपत से जुझ रहा है। हालांकि हाल की कुछ तिमाहियों में ग्रामीण क्षेत्र में कुछ सकारात्मक बदलाव देखने को मिला रहा है। नमकीन और भुजिया जैसे पैकेज्ड फूड पदार्थों में कर की दर में बदलाव से 5 रुपये और 10 रुपये वाले छोटे पैकेट की कीमतों में कमी नहीं आएगी, जो कि बिक्री का एक बड़ा हिस्सा है। हालांकि इससे पैकेट के वजन में वृद्धि होगी, जिससे मात्रा की मांग बढ़ेगी। 

शोध बताती है कि बिस्कुट, रेडी-टू-ईट मील और चॉकलेट जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर कम जीएसटी से औसत उपभोक्ता के लिए किराने के सामान की कुल लागत में कमी आने की उम्मीद है। मुख्य खाद्य उत्पादों की खपत में आमतौर पर करों में कमी के बाद धीरे -धीरे ही वृद्धि देखी जाती है, क्योंकि लोग कीमतों में गिरावट आने के तुंरल बाद अधिक खपत शुरू नहीं करते हैं। हमारा अनुमान है कि पैकेज्ड फूड की मात्रा की मांग 12 से 13 प्रतिशत के अनुमार से 100 से 200 आधार अंकों तक बढ़ने की उम्मीद है। उपभोक्ताओं के प्रीमियम उत्पादों की ओर रुख करने की उम्मीद है।

जॉय पर्सनल केयर (आरएसएच ग्लोबल) के सह संस्थापक एवं अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि ग्रामीण भारत लगातार छह तिमाहियों से एफएमसीजी विकास को गति दे रहा है और जीएसटी कटौती  इन मूल्य संवेदनशील बाजारों में मांग को और मजबूत करेगा। वहीं दूसरी और शहरी खपत में सुधार करने में भी मदद करेगा।

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news