Monday, July 7, 2025

EPF ब्याज क्रेडिट में देरी? इनकम टैक्स रिटर्न में ऐसे करें सही रिपोर्टिंग

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हर साल कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खाताधारक अपने खाते में ब्याज क्रेडिट होने का बेसब्री से इंतजार करते है, लेकिन EPFO अक्सर ब्याज डालने में देर कर देता है, जिससे टैक्स को लेकर कई बार मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं.

अगर आपने एक साल में EPF में 2.5 लाख रुपए (सरकारी कर्मचारियों के लिए 5 लाख रुपए) से ज्यादा जमा किया है, तो इस अतिरिक्त रकम पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स कटौती (TDS) लगती है. अगर आपका EPF खाता PAN से जुड़ा है, तो TDS की दर 10% है. अगर PAN लिंक नहीं है, तो TDS की दर 20% होगी. वहीं अगर टैक्स योग्य ब्याज 5,000 से कम है, तो TDS नहीं काटा जाएगा.

टैक्स को लेकर उलझन क्यों होती है?
EPFO जब ब्याज समय पर खाते में नहीं डालता, तो यह समझना मुश्किल हो जाता है कि किस वित्त वर्ष में इस ब्याज को दिखाना और टैक्स देना चाहिए. हालांकि EPF पासबुक में यह दिखता है कि ब्याज 31 मार्च तक जमा हो गया है, लेकिन वास्तव में यह क्रेडिट अगली साल होता है. उदाहरण के लिए, FY25 (2024-25) का ब्याज मार्च 2025 तक नहीं आया था. सरकार ने इस पर ब्याज दर मई 2025 में तय की और कुछ लोगों को यह ब्याज FY26 (2025-26) में जाकर मिला.

रिपोर्ट के मुताबिक, अगर ब्याज FY26 में क्रेडिट हुआ है, तो TDS भी उसी साल लगेगा और यह फॉर्म 26AS और AIS में दिखेगा. ऐसे में अगर आप FY25 में ही टैक्स भर देंगे, तो FY26 में डेटा न मिलने के कारण टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है.

उन्होंने कहा, AIS में फीडबैक देने का ऑप्शन होता है कि यह TDS पिछले साल के ब्याज का है और टैक्स पहले ही भर दिया गया है. लेकिन EPFO आमतौर पर अपनी TDS रिटर्न अपडेट नहीं करता, जिससे ITR और AIS/26AS में मिसमैच हो सकता है.

क्या करें?
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्याज पर टैक्स उस साल भरें जब वो अकाउंट में आया हो, यानी जब EPFO ने उसे क्रेडिट किया और TDS काटा. मतलब ये कि अगर आपको FY25 का ब्याज FY26 में मिला है, तो उसका टैक्स इस साल नहीं, बल्कि अगले साल भरें. इससे टैक्स डिपार्टमेंट और EPFO के बीच उलझन नहीं होगी, और नोटिस जैसी परेशानियों से भी बचा जा सकता है.

EPF ब्याज को क्रेडिट आधार पर टैक्स में दिखाना आसान और सुरक्षित है, बजाय इसके कि आप उसे उस साल दिखाएं जब वो पासबुक में दर्ज हुआ था. साथ ही, EPFO को भी चाहिए कि वह ब्याज दर उसी साल घोषित और क्रेडिट करे, जिससे टैक्स संबंधी भ्रम की स्थिति न बने.

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