Sunday, May 18, 2025

क्लेम रिजेक्ट! पॉलिसी के वेटिंग पीरियड में हुई मौत, इंश्योरेंस में छिपे जोखिमों को समझें

- Advertisement -

हाल ही में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक मामले (सोफिया और अन्य बनाम स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर और अन्य) में फैसला सुनाया। इसमें होम लोन से जुड़े इंश्योरेंस क्लेम को ठुकराना सही ठहराया गया, क्योंकि जिस व्यक्ति का बीमा था, उनकी मृत्यु पॉलिसी की शुरुआती वेटिंग पीरियड में हो गई थी। लेकिन आयोग ने ये भी देखा कि प्रीमियम और फॉर्म जमा करने के 97 दिन बाद पॉलिसी जारी हुई, जो देरी थी। इसलिए, राज्य आयोग के फैसले को सही माना गया, जिसमें बीमा कंपनी को लोन की वो राशि चुकाने को कहा गया जो पहले दी जा चुकी थी, न कि पूरी बीमा राशि।

शुरुआती वेटिंग पीरियड क्या होती है?

कुछ जीवन बीमा पॉलिसियों में शुरुआती वेटिंग पीरियड होती है, कुछ में नहीं। पॉलिसी बाजार के टर्म इंश्योरेंस हेड वरुण अग्रवाल बताते हैं, “टर्म पॉलिसी में कोई वेटिंग पीरियड नहीं होती। पॉलिसी जारी होते ही कवर शुरू हो जाता है। अगर इसके बाद बीमाधारक की प्राकृतिक या दुर्घटना से मृत्यु हो, तो नॉमिनी को पैसा मिलता है। हां, हालांकि, अधिकांश टर्म पॉलिसियां पहले साल के दौरान आत्महत्या से होने वाली मृत्यु को कवर नहीं करती हैं।”

बीमा नियामक की स्टैंडर्ड टर्म योजना, सरल जीवन बीमा में 45 दिन की वेटिंग पीरियड होती है, जिसमें सिर्फ दुर्घटना से मृत्यु कवर होती है। कई होम लोन सुरक्षा योजनाओं में भी गैर-दुर्घटना मृत्यु के लिए 45 दिन का इंतजार करना पड़ता है। इन पॉलिसियों के साथ जुड़े राइडर्स की अपनी अलग शर्तें हो सकती हैं।

ये वेटिंग पीरियड इसलिए होती है ताकि कोई गलत फायदा न उठाए। अग्रवाल कहते हैं कि कोई पॉलिसी लेकर जल्दी खुद को नुकसान पहुंचाने की सोच सकता है, ताकि नॉमिनी को पैसा मिले। हम फौजी इनिशिएटिव्स के सीईओ और फाइनेंशियल प्लानर कर्नल संजीव गोविला (रिटायर्ड) कहते हैं, “जिन्हें पहले से गंभीर बीमारी पता हो, वे मौत करीब होने पर पॉलिसी ले सकते हैं।”

कवर कब शुरू होता है?

कई लोग सोचते हैं कि प्रीमियम दे दिया या फॉर्म जमा कर दिया, तो कवर शुरू। लेकिन इंडियालॉ एलएलपी के असव राजन बताते हैं, “कवर प्रीमियम देने या फॉर्म जमा करने से नहीं, बल्कि पॉलिसी जारी होने या ‘कवर शुरू होने की तारीख’ से शुरू होता है।”

गोविला कहते हैं कि पॉलिसी मिलने के बाद भी, खासकर प्राकृतिक मृत्यु के लिए, कुछ पॉलिसियों में वेटिंग पीरियड खत्म होने के बाद ही पूरा कवर मिलता है।

पॉलिसी जारी होने में कितना वक्त लगता है?

इरडा के नियमों (2017) के मुताबिक, बीमा कंपनियों को जीवन बीमा के फॉर्म 15 दिन में प्रोसेस करने होते हैं। गोविला बताते हैं, “अगर इससे ज्यादा देरी हो, तो कंपनी को ठोस कारण बताना होगा और ग्राहक को सूचित करना होगा। अगर कंपनी को और डॉक्यूमेंट चाहिए, तो जब तक वो न मिलें, समय-सीमा रुक जाती है।”

अगर सारे डॉक्यूमेंट और प्रीमियम जमा करने के बाद भी देरी हो, तो बीमा कंपनी के शिकायत अधिकारी से बात करें। किंग स्टब एंड कासिवा की पार्टनर दीपिका कुमारी कहती हैं, “अगर जवाब ठीक न मिले, तो इरडा के शिकायत सिस्टम (आईजीएमएस) में शिकायत करें। नहीं तो बीमा लोकपाल या उपभोक्ता कोर्ट जा सकते हैं।”

लोन और कवर को एक साथ रखें

लोन से जुड़ी पॉलिसी में कवर लोन मिलने से पहले या उसी दिन शुरू होना चाहिए। कुमारी कहती हैं, “कवर में गैप न हो, इसके लिए बैंक और बीमा कंपनी से तालमेल करें ताकि लोन मिलने से पहले कवर शुरू हो।”

लोन लेने वाले होम लोन सुरक्षा योजना के बजाय टर्म प्लान भी ले सकते हैं। एक्यूलॉ के पार्टनर अमित कुमार नाग कहते हैं, “बस ये ध्यान रखें कि टर्म प्लान की अवधि लोन चुकाने की समय-सीमा तक हो।”

पॉलिसी में देरी हो तो तुरंत शिकायत करें

अगर पॉलिसी जारी होने में देरी हो, तो फौरन बीमा कंपनी से पूछताछ करें और शिकायत करें। नाग कहते हैं, “इस मामले से साफ है कि NCDRC और राज्य आयोग ने देरी के लिए बीमा कंपनी को जिम्मेदार ठहराया।”

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news