Sunday, November 17, 2024

Mayawati on Quota within Quota : कोटे के अंदर कोटा सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मायावती ने जताई असहमति, लगाया आरोप -पहले कोटा सिस्टम …..

Mayawati on Quota within Quota :  सुप्रीम कोर्ट के कोटे के अंदर कोटा सिस्टम के फैसले पर बीएसपी प्रमुख मायावती ने असहमति जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में रिजर्वेशन के अंदर एससी-एसटी वर्ग के उपवर्गीकरण को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है जिसमें राज्यों को ये अधिकार दिया गया है कि वो एससी- एसटी वर्ग को दिये जाने वाले आरक्षण में उप वर्गीकरण करके आरक्षण लागू कर सकते है, ताकि सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को दूसरों की तुलना में अधिक अवसर मिल सके.

Mayawati on Quota within Quota : पहले उप वर्गीकरण फिर आरक्षण खत्म करने की होगी कोशिश… 

बीएसपी प्रमुख मायावती का कहना है कि वो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं हैं. सुश्री मायावती का तर्क है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) ने अपने उपर हुए समुदायों के अत्याचारों को एक समूह के रूप में झेला है, इसलिए एस एक समूह यानी एससी और एसटी के भीतर किसी भी तरह का उप-वर्गीकरण (Sub-classification) करना सही नहीं होगा. इसके साथ ही  राजनीतिक पार्टियां सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अपने हित को साधने के लिए मन से किसी भी जाति को कोटा देगी.इसलिए ऐसा फैसला ठीक नहीं है.यही नहीं सुश्री मायावती ने क्रीमीलेयर पर भी सुप्रीम कोर्ट की राय का विरोध किया है. मायवती ने अपने प्रेस नोट में कहा है कि एससीएसटी में कोर्ट ने क्रीमी लेयर का सही तरीके से विवरण नहीं दिया . इसके आलावा राजनीतिक पार्टियां खास कर बीजेपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी  शुरु से ही दलितों की विरोधी रही है.  सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उप वर्गीकरण के बाद कई जगह पर पद खाली रह जायेंगे, तो फिर इस पदों के अनआरक्षित पदों में शामिल होने की प्रबल संभावनाएं हैं.

समाज में आज भी दलितों के लिए स्वीकार्यता कम- मायावती

बीएसपी प्रमुख मायावती का कहना है कि ये बात ठीक है कि दलित समाज के 10 प्रतिशत लोगो के पास पैसा आया है. वो बड़े पदों पर भी पहुंच गये हैं,फिर भी उनके बच्चों से आरक्षण का लाभ नहीं छीना जाना चाहिये, क्योंकि अभी भी समाज में जातिवादी मानसिकता के लोग हैं , और उनके विचार नहीं बदले है. कुछ लोगो के पास पैसा आने के बाद भी समाज में उनकी स्वीकार्यता उस तरह से नहीं है. ऐसे में उनसे आरक्षण छीनना लेना ठीक नहीं होगा.

चिराग और चंद्रशेखर भी फैसले के विरोध में

केवल बीएसपी प्रमुख मायावती ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के इस बड़े फैसले से दलित समुदाय से ने वाले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, भीमआर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद भी विरोध में नजर आ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से सोशल मीडिया पर लगातार इसके खिलाफ ट्रेंड चल रहे हैं, और लोग फैसले को लेकर आपत्ति जता रहे हैं. कुछ दलित संगठनों ने मिलकर 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान भी किया है.

कांग्रेस और भाजपा ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही देश भर में हो रहे विरोध पर ना तो भाजपा औऱ ना ही कांग्रेस की तरफ से कोई बड़ी प्रतिक्रिया आई है. इस बीच आगरा कैंट से आगरा की कैंट सीट से बीजेपी विधायक जी.एस धर्मेश एक्टिव हो कर सामने आये हैं और उन्होंने 21 अगस्त, रविवार को बुलाये भारत बंद का समर्थन किया है. विधायक जी.एस धर्मेश ने अपने समुदाय के लोगों के साथ बैठक की.जीएस धर्मेश दलित समुदाय से आते हैं.

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