Justice Yashwant Verma : इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को कैश कांड में सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने चीफ जस्टिस की तरफ से तत्काल पद से हटाने और इन हाउस कमिटी की जांच रिपोर्ट को चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब जस्टिस वर्मा पर महाभियोग का खतरा मंडरा रहा है. जस्टिस वर्मा की मुश्किलें अब और बढ़ने वाली हैं, क्योंकि संसद के दोनों सदनों में पहले ही उनके खिलाफ महाभियोग का नोटिस दिया जा चुका है.
Justice Yashwant Verma की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
जस्टिस वर्मा की याचिका गुरुवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच में आया, जहां बेंच ने कहा कि जांच समिति ने तय प्रक्रियाओं के तहत ही जांच पूरी की है , इसलिए जस्टिस वर्मा की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता. बेंच ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट की जांच कमीटि की जांच अवैध नहीं है.
राष्ट्रपति और पीएम को भेजी गई चिट्ठी असंवैधानिक नहीं
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा कि जिस समय तत्कालीन सीजेआई और उनकी सुप्रीमकोर्ट की इन-हाउस कमेटी ने जांच की, आपने उस समय जांच को चुनौती नहीं क्यों नहीं दी. बेंच ने साफ किया कि तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जांच रिपोर्ट आन के बाद जो चिट्ठी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी वो चिट्ठी असंवैधानिक नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब जस्टिस य़शवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. अब उनके पास केवल दो ही रास्ते बचे हैं.. या तो वो अपने पद से इस्तीफा दें, या फिर महाभियोग का सामना करें .
अगर जस्टिस वर्मा इस्तीफ देते हैं तो….
जानकारों को मुताबिक अगर जस्टिस य़शवंत वर्मा खुद अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो एक तो वो महाभियोग के दौरान लगाये जाने वाले आरोपो की फजीहत से बच जायेंगे, वहीं रिटायर्ड जज के तौर पर उन्हें सरकार से पेंशन और अन्य दूसरी सुविधाएं भी मिलेगी. वहीं अगर जस्टिस वर्मा महाभियोग का सामना करते हैं और महाभियोग साबित हो जाता है तो उन्हें पद से हटना पड़ेगा और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले पेंशन और अन्य सुविधाओं से भी हाथ धोना पड़ेगा.हलांकि जस्टिस वर्मा ने अपने उपर लगे सभी आरोपों के निराधार बताया है और खुद इस्तीफ देने से इंकार भी किया है.
जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के कोई जज अपने उपर लगे आरोपों से संबंधित रिपोर्ट लेकर संसद के किसी भी सदन में अपना पक्ष रखते हुए इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं. संसद में उनके ऐलान को इस्तीफा मान लिया जायेगा.
संसद में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस
करोड़ों के कैश कांड में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लोकसभा और राज्य सभा दोनो जगहों पर महाभियोग का नोटिस दिया जा चुका है. लोकसभा मे जहां 152 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये हैं वहीं राज्य सभा में भी 54 सांसदों ने जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. राज्यसभा में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किये जाने के बाद ही उपराष्ट्रपति (राज्यसभा के सभापति) धनकड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. हलांकि संसद के किसी भी सदन में अभी तक प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया है.