Rabri Residence : बिहार में नई सरकार के गठन के बाद अब सरकारी बंगले को लेकर बवाल शुरु हो गया है. नीतीश कुमार की नई एनडीए सरकार ने बिहार विधानपरिषद की नेता विपक्ष राबड़ी देवी को अपना वर्तमान सरकारी बंगला 10 सर्कुलर रोड को खाली करने का आदेश दिया है. राबड़ी देवी को ये बंगला पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते एलॉट किया गया था, लेकिन राबड़ी देवी को ये बंगला छोड़कर दूसरे बंगले में जाने के लिए कहा गया है ,जो उन्हें विधानपरिषद की नेता विपक्ष के तौर पर मिला है लेकिन राबड़ी देवी और लालू परिवार इस बंगले को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हैं. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) का आरोप है कि नई एनडीए सरकार केवल उन्हें अपमानित करने के लिए ऐसा कर रही है लेकिन जानकारों का मानना है कि लालू परिवार की डर केवल ये रही है कि वर्तमान बंगाल उन्हें छोड़ना होगा बल्कि ये भी है कि जो नया बंगला (39, हार्डिंग रोड पटना) अभी राबड़ी देवी को आवंटित किया गया है,उसमें भी वो कितने दिन तक रह पायेंगे ?
Rabri Residence: वर्तमान सरकारी बंगला क्यों नहीं छोड़ना चाहता है लालू परिवार ?
सरकार बदलने के बाद ये तो तय माना जा रहा था कि बदलाव होंगे लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर क्या कारण है कि लालू परिवार 10 सर्कुलर रोड वाला सरकारी बंगला छोड़कर हार्डिंग रोड के 39 नंबर वाले बंगले में जाने के लिए तैयार नहीं है?
सवाल उठता है कि समस्या बंगले की साइज को लेकर है या कोई और कारण हैं ?
दरअसल लालू परिवार पिछले 20 वर्षो से इसी बंगले मेंं रह रहा है.ये बंगला राबड़ी देवी को 2006 में आवंटित किया गया था . देखा जाये तो पटना में ये बंगला लालू परिवार के नाम से ही जाना जाने लगा है. अब 20 साल के बाद सरकार ने इस बंगले को छोड़ कर दूसरी जगह जाने के लिए कहा है.
पहले सीएम नीतीश कुमार के आदेश से ही मिला था ये बंगला
दरअसल बिहार में जब नवंबर 2005 में सरकार बदली और नीतीश कुमार दूसरी बार सत्ता में आये तो उन्होंने ये नियम बनाया था कि सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला और सुरक्षा और सारी सुविधाएं सरकार देगी लेकिन 2019 में पटना हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाले बंगले और अन्य सुविधाएं देने की व्यवस्था को खत्म कर दिया था. इसी नियम के तहत नई सरकार ने इस खास बंगले को खाली करने का आदेश दिया है.
नये बंगले को लेकर क्या है राजद का डर ?
दरअसल सरकार ने राबड़ी देवी को पटना के हार्डिंग रोड पर नया 39 नंबर का बंगला विधानपरिषद की नेता विपक्ष के तौर पर आवंटित किया है. ये बंगला अगर साइज के हिसाब से देखा जाये तो राज्य में मंत्रियों को मिलने वाले बंगले में दूसरा सबसे बड़ा बंगला है. इस बंगले में कुल 6 बेडरूम, ड्राइंग रूम, डाइनिंग रूम, एक बड़ा हॉल और एक बड़ा गार्डन है. इसके अलावा स्टाफ और सिक्योरिटी गार्ड के लिए भी अलग कमरे बने हुए हैं. इस लिए आकार और सुविधा के हिसाब से इस बंगले में भी सुविधाएं मौजूद हैं फिर भी लालू परिवार इस बंगाले में शिफ्ट होने के लिए तैयार नहीं हैं. बताया जा रहा है कि इसकी वजह वो राजनीतिक पद है जो अगर चला गया तो राबड़ी देवी को ये बंगला भी खाली करना पड़ेगा.
बिहार विधान परिषद में राजद की स्थिति
दऱअसल बिहार विधानपरिषद में राजद के 13 एमएलसी हैं और राजद को नेता प्रतिपक्ष बने रहने के लिए कम से कम 9 एमएलसी चाहिये. अब विधानपरिषद में देखा जाये तो राजद के 13 एमएलसी में से 2 एमएलसी का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है. इसके अलावा आरजेडी के 7 एमएलसी का 2028 में पूरा हो जायेगा और 4 एमएलसी का कार्यकाल 2030 में पूरा हो जायेगा. ऐसे में अगर राजद से 5 एमएलसी कम हो गये तो राबड़ी देवी से विधानपरिषद की नेता प्रतिपक्ष का पद भी छिन जायेगा और इसके साथ ही उन्हें इस पद के लिए आवंटित बंगाल भी छोड़ना होगा.
विधानपरिषद में नेता विपक्ष बने रहना राजद के लिए टेढ़ी खीर
राबड़ी देवी का कार्यकाल 2030 तक है. देखा जाये को आने वाले समय में राबड़ी देवी के लिए विधानपरिषद की नेता विपक्ष बने रहना टेढ़ी खीर होगी क्योंकि विधानसभा चुनाव में इस बार राजद के पास केवल 25 विधायक है, जबकि पिछली विधानसभा में 75 विधायक जीत कर आये थे. इस लिहाज से देखा जाये को अब विधान परिषद में अपने दम पर आरजेडी के लिए एक सीट जीतना भी मुश्किल है. जानकारों का मानना है कि 2028 तक राबड़ी देवी के हाथों से नेता प्रतिपक्ष का पद निकल सकता है.
यही कारण है कि तमाम गुणा गणित को देखते हुए राजद ने फिलहाल 10 सर्कुलर रोड के बंगले को ना छोड़ने की बात कही है. पार्टी ने साफ शब्दों मे कहा कि अगर उन्हें बंगले के लिए कोर्ट तक जाना पड़े ,तो भी वो कोर्ट भी जायेंगे.
राजद ने इसे राजनीतिक रंग देते हुए लालू यादव के परिवार को अपमानित करने के बात कही है. राजद के नेता मगनीलाल मंडल का कहना है कि “गृह विभाग भाजपा के पास जाने के बाद लालू परिवार को अपमानित करने की कोशिश हो रही है.. आरजेडी ने फैसला लिया है कि कोर्ट जाएँगे या जो भी जरूरी कदम उठाएंगे, लेकिन बंगला नहीं छोड़ेंगे. इस तरह से आरजेडी कानूनी लड़ाई लड़कर मामले को उलझाए रखने की स्टैटेजी पर चल रही है.”
हलांकि बीजेपी इसे नियमों का उल्लंघन कह रही है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह का कहना है कि ये एक संवैधानिक प्रक्रिया है,इसको लेकर जिद करना उचित नहीं है.

