महाकुंभ का अनोखा दृश्य – नागा साधुओं की पीठ पर हो रहा है EYE TEST 

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Mahakumbh Eyetest
Mahakumbh Eyetest

Mahakumbh Eyetest :  विविधताओं से भरे प्रयागराज संगम में एक और भी अनूठी बात देखने को मिली. यहां पर नागा साधुओं के पीठ पर लोगों का आई टेस्ट (Eye test) किया गया. शरीर पर भस्म मले नागा साधुओं के पीठ पर वो अक्षर लिखे थे जिसको दिखाकर आंख के डॉक्टर नजर चेक करते हैं. कुंभ में इस अनोखी पहल को लेकर लोगों में कौतूहल देखा गया.

Eye Test In Mahakumbh
Eye Test In Mahakumbh

Mahakumbh Eyetest बना कैतूहल का विषय 

महाकुंभ के दौरान जरूरतमंदों की आंखों की जांच के लिए EYETEST कैंप चलाया जा रहा है. इस कैंप में खास तौर से डायबिटिज से आंखों को होने वाली परेशानियों और रोशनी छीनने वाली आंखों की दूसरी समस्याओं के लिए  मुफ्त जांच की व्यवस्था की गई थी. 10  फरवरी से शुरू हुआ ये कैंप मेले के अंत तक चलेगा.

 नागा साधुओं की पीठ पर छपे अल्फाबेट 

इस आइटेस्ट कुंभ के दौरान अरैल घाट पर  शिविर में नागा साधुओं की पीठ पर लगी भभूत के बीच हिंदी के बड़े और छोटे अक्षर लिखे गए हैं और लोगों को उन अक्षरों की पहचान करने के लिए कहा जाता है. इस टेस्ट के जरिये लोगों क आंधों की पावर चेक जाती है.इस तरह का अनोखा आई कैंप लोगों के बीच कौतूहल काविषय बन गया है.

नागा अखाड़े के एक प्रवक्ता ने के मुताबिक “धार्मिक मान्यताओं में शीरीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य गहरे रूप से जुड़े हुए हैं. आध्यात्मिक यात्रा पर निकले असंख्य श्रद्धालुओं को मदद पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया ये बहुत ही अच्छा काम था. बताया जा रहा है कि 10 फरवरी से लगा यह शिविर 25 फरवरी तक चलेगा और अभी तक 18,000 मरीजों की आंखों की जांच की जा चुकी है. 15,000 चश्मों का निःशुल्क वितरण किया जा चुका है.

वहीं जिन लोगों की आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत आई हैं, उन्हें पूरी रिपोर्ट दी जा रही है ताकि वे अपने शहर में इसका ऑपरेशन करा सकें..Eyebetes फाउंडेशन के डॉ. निशांत कुमार ने कहा, “हमारे अध्ययनों से पता चला है कि चश्मे की ज़रूरत वाले 60% से ज़्यादा भारतीय बिना चश्मे के रह जाते हैं और 60% प्री-डायबिटीज़ या शुरुआती मधुमेह रोगियों का निदान नहीं हो पाता. ये दोनों आंकड़े आपस में जुड़े हुए हैं और इन स्थितियों से पैदा होने वाली जटिलताओं को रोकने के लिए बहुत कुछ करने की ज़रूरत है.

अंधेपन को रोके जा सकने के लिए काम करती है ये समाजिक संस्था 

आईकैंप चला रही संस्था के डॉक्टर निशांत का कहना है कि करीब 100 मिलियन यानी कि 10 करोड़ भारतीयों को मधुमेह से संबंधित जटिलताओं का खतरा हो सकता है. अगले दशक में इन संख्याओं के दोगुना होने की उम्मीद है. डाक्टर निशांत के मुताबिक  मुंबई में हर साल 10 दिन के गणेश उत्सव में 30-40 हजार लोगों की आंखों की जांच करते हैं. इस बार महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं के बीच आकर उनकी सेवा करने का मन हुआ, तो हम यहां आए हैं…इस संस्था ने बताया कि महाकुंभ मेला 400 मिलियन से अधिक लोगों तक पहुंचने का एक शानदार तरीका रहा…

Eyebetes फाउंडेशन का कहना है कि इस आई कैंप में लगभग 100 ट्रेंड स्टाफ ने मुफ्त आंखों की जांच की. इस दौरान 50 हजार जोड़ी से अधिक चश्मे बांटे गए. गौरतलब है कि Eyebetes फाउंडेशन एक धर्मार्थ संगठन है जो मधुमेह और रोके जा सकने वाले अंधेपन के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए समर्पित है. 2016 में डॉ. निशांत कुमार, डॉ. शिशिर कुमार और प्रोफेसर मीनाक्षी कुमार द्वारा स्थापित ये संस्था रोके जा सकने वाले अंधेपन को लेकर काम करने वाले भारत के सबसे बड़े संगठनों में से एक है…आपको बता दें कि डाक्टर निशांत के इस धर्मार्थ में अभी तक 50 नागा साधुओं ने इस पहल में सहयोग किया है और फाउंडेशन की टीम हर दिन नए साधुओं से मिलकर उन्हें इस नेक कार्य के लिए राजी करती है. लोगों की सेवा के लिए फाउंडेशन की 100 लोगों की टीम लगी हुई है.