हाजीपुर : हमारा देश भले ही चांद तक पहुंच गया हो लेकिन अभी भी कुछ लोग अंधविश्वास की जकड़ से छूट नहीं पाए हैं. कई इलाकों में आज भी अंधविश्वास, साइंस पर भारी पड़ता साफ नजर आ जाता है. इसका जीता जागता उदाहरण कार्तिक पूर्णिमा की रात हाजीपुर के कौनहाराघाट में देखने के लिए मिला. यहां भूत भगाने Ghost Fair का खेल पूरी रात कौनहाराघाट पर चलता रहा. चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस मेले को लेकर वैशाली जिला प्रशासन भी लगभग एक महीने से मेहनत कर रहा था. इस मेले में कानून व्यवस्था में कोई गड़बड़ी ना हो, इसके लिए पुलिसकर्मी हमेशा अलर्ट मोड पर रहते हैं.

Ghost Fair में ओझाओं के अजूबे दावे
मेले में आए लोगों का कहना है कि भूत को पकड़ने और भगाने के लिए भारी संख्या में भगत और ओझा इस मेले में पहुंचते हैं. भगत और ओझाओं की दुकान पूरी रात चलती है. तांत्रिक रात भर चलने वाले इस अनुष्ठान के दौरान भूत से परेशान लोगों को निजात दिलाते दिखते हैं. भूतों को पकड़ने और भगाने का दावा करने वाले ओझा भी इस मेले में बड़ी संख्या में आकर अपनी मंडली लगाते हैं. जगह-जगह ओझाओं की मंडली सजी होती है जो अलग-अलग अनुष्ठान कर रहे होते हैं. भूत भगाने के दौरान यहां अजीबोगरीब दृश्य दिखते हैं. कहीं तो भूत भगाने के लिए महिलाओं के बाल पकड़ कर खींचा जाता है. तो कहीं बेंत से उनकी पिटाई की जाती है. भूतों के इस अजूबे मेले में आए ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे. सबसे मजेदार बात ये है कि भूतों की भाषा सिर्फ ओझा और भगत समझते हैं.
गज की भगवान विष्णु ने जान बचाई थी
बता दें कि हाजीपुर का कोनहारा घाट ऐतिहासिक घाट है. इस घाट पर स्वयं भगवान विष्णु ने अवतार लिया था. इस घाट पर गज और ग्राह यानी हाथी और मगरमच्छ की लड़ाई हुई थी. इसमें मगरमच्छ हाथी को पानी में खींचकर डुबो रहा था, तब हाथी ने भगवान विष्णु को याद किया और प्रार्थना किया तो भगवान विष्णु ने गज की रक्षा करने के लिए हाजीपुर के घाट पर अवतार लिया और ग्राह यानी मगरमच्छ से गज यानी हाथी की भगवान विष्णु ने जान बचाई थी.
प्रशासन ने की चाक चौबंद व्यवस्था
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में स्नान और दान आदि करने का विशेष महत्व है. इसी के चलते सोनपुर का हरिहर क्षेत्र, कोनहारा, हाजीपुर और अन्य जिलों से हाजीपुर के गंगा नदी घाटों पर भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस दौरान अंधविश्वास का ये खेल भी यहां देखने को मिलता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक भूतों का ये मेला परंपरिक रूप कई सालों से यहां चलता आ रहा है और हजारों लाखों लोग पूर्णिमा की रात यहां इसी काम से जुटते हैं और सुबह गंगा स्नान कर वापस अपने घर वापस लौटते हैं.

