Supreme Court Waqf Law : सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दिनभर वक्फ संसोधन कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इन याचिका पर दलीलें सुनी . इसी सुनवाई के दौरान सीजेआई गवई ने वक्फ कानून लेकर एक बड़ी टिप्पणी की. सीजेआई ने वक्फ कानून को चुनौती देनेवाले याचिकर्ताओं से कहा कि “संसद से जो कानून पारित होता है उसमें संवैधानिकता की धारणा निहित होती है, अदालतें तब कुछ कह नहीं सकती हैं जब तक कि कानून के असंवैधानिक होने के ठोस सबूत नहीं आ जाते हैं.
Supreme Court Waqf Law – तीन मुद्दों तक ही सीमित रहे सुनवाई- केंद्र सरकार
अदालत में दलीलों के दौरान केंद्र सरकार ने आग्रह किया कि इस मामले मे कोई अंतरिम आदेश परित करने से पहले नये वक्फ अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली भी याचिकाओं पर सुनवाई को तीन मुद्दों तक ही सीमित रखा जाये.’
कोर्ट, यूजर और डीड’ के द्वारा घोषित वक्फ प्रॉपर्टीज को डि-नोटिफाई करने में बोर्ड्स के अधिकार भी शामिल है. केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से अनुरोध किया.
सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत ने तीन मुद्दे चिन्हित किए थे जबकि याचिकाकर्ता इन तीन मुद्दों से अलग भी कई मुद्दे उठाना चाहते हैं. मैंने इन तीन मुद्दों कोर्ट, यूजर और डीड’ के मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है. मेहता ने कहा कि मेरा अनुरोध है कि सुनवाई को केवल तीन मुद्दे तक ही सीमित रखा जाये.
इतने महत्वपूर्ण बिल की सुनवाई टुकड़ो में नहीं हो सकती है – सिब्बल
हलांकि सालिसीटर जनरल के अनुरोध का वक्फ याचिकाकर्ताओ के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंहवी ने विरोध किया और कहा कि इतने महत्वपूर्ण कानून की सुनवाई टुकड़ों में नहीं हो सकती है.
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि संशोधित वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है. संविधान के अनुच्छेद 25 के मुताबिक ये अनुच्छेद अपने धर्म के पालन, उसके अनुरूप आचरण करने और धर्म का प्रचार करने के अधिकार की गारंटी देता है. सिब्बल ने कहा कि हम तो सभी मुद्दों पर अपनी राय रखेंगे, क्योंकि ये पूरी तरह से वक्फ सम्पत्ति पर कब्जा करने का मामला है. सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में अंतरिम आदेश जारी करने से पहले सुनवाई होनी चाहिये.