Rudraksh Mahakal : कहते हैं महाकुंभ के दौरान स्वर्ग के सभी 33 करोड़ देवी देवता धरती पर आकर इस तीर्थ क्षेत्र में वास करते हैं. कुंभ के मेले में साधु-महात्मा, विचारक- प्रचारक और श्रद्धालु सब पधारते हैं. भक्त अपने आराध्य का यहां आह्वान करते हैं. यूं तो भक्त महाकाल बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचते हैं लेकिन इस समय साधु संतों ने बाबा भोले नाथ का आह्वान महाकुंभ में ही कर लिया है. महाकुंभ मेला क्षेत्र में आप निरंजनी अखाड़े में महाकाल के दर्शन कर सकते हैं. निरंजनी अखाड़े के पास ही भगवान महाकाल के प्रिय रुद्राक्ष से निर्मित एक विग्रह बनाया गया है , जहां आप भी महाकाल के दर्शन आप कर सकते हैं.

निरंजनी अखाड़ा क्षेत्र में बने इस महाकाल के विग्र को लेकर संत रविन्द्रपुरीजी महाराज कहते हैं कि “ जो व्यक्ति महाकाल के दर्शन करता है वह पाप मुक्त हो जाता है हम जितने भी साधु संत और महात्मा है हम सब महाकाल के उपासक हैं भगवान का ही एक रूप महाकाल का रूप है सभी संत महात्मा महाकाल की पूजा करते हैं भगवान शंकर की पूजा करते हैं.”
Rudraksh Mahakal: निरंजनी अखाड़े के पास बना है 8.30 फिट का रुद्राक्ष शिवलिंग
निरंजनी अखाड़े ने अपनी छावनी के पास ही 8:30 फुट का रुद्राक्ष का शिवलिंग बनाया गया है और सुबह शाम यहां साधु संत से लेकर आम लोग इसकी पूजा अर्चना जल अभिषेक करते हैं. रविन्द्रपुरीजी महाराज क कहना है कि संतों का काम है भगवान को रिझाना भगवान को हम लोग कैसे अपना बनाएं उसको लेकर हम लोग भगवान की पूजा अर्चना करते हैं जिससे कि बाबा महाकाल हम लोगों से रूठे.
जब संत भगवान की पूजा अर्चना करेंगे तभी भगवान हमारी भी मनोकामना को पूर्ण करेंगे. संतों का काम है भगवान को रिझाना . हम लोग भी भगवान महाकाल की पूजा अर्चना करें और उनकी सेवा करें उनका दूध से और जल से अभिषेक करें उनको रोज जल से अभिषेक करें.
पूरे मेला क्षेत्र में जहां-जहां आप जहा जहां जाएंगे आपको पूजा पाठ दिखेगा , सभी लोग सन्यासी दिखेंगे जितने संत महात्मा है सभी लोग महाकाल की आराधना करते हैं. इस समय प्रयागराज में 33 कोटी देवी देवताओं का वास है और जो पाप हम लोगों ने किया है वह प्रयागराज में आकर मुक्त हो जाएगा.