PM CM 30 days law : प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को जेल जाने से पहले 30 दिन में पद से हटाने वाले कानून पर बननी संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से समाजवादी पार्टी, टीएमसी और शिवसेना उद्दव गुट ने किनारा करने का मन बना लिया है. टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ’ब्रायन के मुताबिक ये एक नौटंकी और सुपर-इमरजेंसी से बढॉकर कुछ नहीं हैं. सत्तारूढ़ दल NDA की बहुमत में है इसलिए JPC की कार्यवाही भी पक्षपातपूर्ण होगी. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी टीएमसी का समर्थन करते हुए JPC से दूरी बना ली है.
PM CM 30 days law:क्या विपक्ष सरकार को देगा वॉकओवर
एनसीपी (शरद पवार) गुट की नेता सुप्रिया सुले के मुताबिक जब धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) कानून है तो फिर नये कानून की जरुरत क्या है ?
संसद के किसी विवादित मसले पर आम सहमति बनाने के लिए दोनों सदनों के सदस्यों को लेकर बनाई जाने वाली संयुक्त संसदीय समिति का राजनीति में बड़ा महत्व है. संभवतह कांग्रेस इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है, इसलिए फिलहाल नये कानून को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजे जाने के मसले पर अब तक कुछ नहीं कहा है. अब टीएमसी सपा, एनसीपी (एस),शिवसेना (उद्दव गुट) के किनारे हट जाने से संभव है कि कांग्रेस की तरफ से भी कोई प्रतिक्रिया आये क्योंकि इस समय कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती विपक्ष की एकजुटता को बनाये रखना है लेकिन जिस तरह से विपक्षी दलों खासकर सपा और टीएमसी ने पहले ईवीएम ,पेगासस और अब एसआईआर के बाद नये कानून को लेकर रुख अपनाया है उससे ऐसा लगने लगा है कि कहीं विपक्ष के द्वारा इस कानून का विरेध केवल रश्म आयदगी भर ना बनकर रह जाये.
क्या है 30 दिन में पद छोड़ने का कानून ?
केंद्र की मोदी सरकार ने संविधान के 130वें संशोधन के माध्यम से संसद में एक नये बिल का प्रावधान ऱखा है. इस बिल के मुताबिक गंभीर आपराधों के मामले जिसमें (5 वर्ष या अधिक सजा वाले का प्रावधान होता है) इस मामले में अगर प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों को 30 दिनों तक पुलिस हिरासत में रखा जाता है तो 30 दन के बाद वो अपने आप पद से हटाये जाने का प्रावधान है. इस विधेयक को संबंधित खामियों और त्रुटियों के निवारन के लिए संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है. संसद की संयुक्त संसदीय समिति में सभी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को भी रखा जाता है. ऐसे में सपा और टीएमसी के द्वारा किनारा कर लिये जाने से ये सत्ता पक्ष को वॉकओवर देने के जैसा हो जायेगा.
चुनाव आयोग के बुलाने पर भी नहीं पहुंचा विपक्ष
विपक्ष खास कर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी , राजद और अन्य विपक्षी पार्टियों ने 2017 विधानसभा चुनाव के बाद से ही ईवीएम में गड़बड़ी का मुद्दा बार बार लगातार उठाया है . सपा, बसपा ने चुनाव आयोग से इवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग तक कर डाली है. दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल ने भी इवीएम पर संदेह जताया और ईवीएम टेपरिंग के मुद्दे पर कैंपेन चलाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग कर डाली थी, हलाकि जब चुनाव आयोग ने इवाएम हैक करने की चुनौती दी तो कोई भी इवीएम हैक नहीं कर पाया.