पटना : पटना का नेपाली नगर इलाके में अतिक्रमण के बाद दायर याचिका पर आज हाइकोर्ट (Patna HighCourt) का फैसला आया. Patna HighCourt का फैसला नेपाली नगर के निवासियों के लिए राहत का पैगाम लेकर आया है .
मामला क्या है?
दरअसल 3 जुलाई 2022 को पटना ज़िला प्रशासन द्वारा नेपाली नगर मे अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई थी, जिसमें प्रशासन द्वारा वहाँ बनाए गये सभी मकानों को अवैध बताते हुए तोड़ दिया था. प्रशासन के इस कार्रवाई के बाद काफ़ी हंगामा हुआ.सैकड़ों राउंड गोलियां चली जिसमें कई पुलिस अधिकारी ज़ख़्मी हुए थे और बहुत से लोगों को काफ़ी चोटें भी आयी. प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में राजीव नगर/नेपाली नगर निवासी हाइकोर्ट (Patna HighCourt) में गये. उसी मामले पर पटना हाईकोर्ट (Patna HighCourt) ने आज अपना फ़ैसला दिया है.
दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट में 2018 से पहले के मकानों की सेटलमेंट
पटना हाईकोर्ट (Patna HighCourt) ने पटना के राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के मामले पर याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी है.कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि जो भी निर्माण 2018 के पहले बने हैं,उस पर दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत किया जाना है. कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपालीनगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया. साथ ही अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया.
जस्टिस संदीप कुमार ने 17 नवंबर,2022 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था.कोर्ट ने इस मामले पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है,उन्हें पांच पाँच लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.कोर्ट ने साफ किया है कि यदि क्षतिपूर्ति की राशि अगर अधिक हो,तो उस पर विचार कर देना होगा.
कोर्ट ने ये भी कहा कि जिनका मकान 2018 के बाद बना है,उन सभी मामलों में दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत विचार करने का निर्देश दिया गया था.
अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई पर पूछे थे सवाल
आपको बताते चलें कि अतिक्रमण हटाने के दौरान काफ़ी हंगामा हुआ था जिसमें बहुत से लोगों को गम्भीर चोट भी आयी थी .पहले की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को ये बताने के लिए कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया है.साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा था.कोर्ट ने कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए.इस मामले पर कोर्ट द्वारा सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय 17 नवंबर,2022 को सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया.