पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Nitish Kumar इन दिनों 12 जून को विपक्ष की होने वाली बैठक के लिए तैयरियों में जुटे हैं. इस दौरान सियासी गलियारों में ये खबर तैर रही है कि लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश के फूलपुर से लड़ने जा रहे हैं . दरअसल हाल ही में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह ने एक बयान दिया जिसके बाद से इस कयास को हवा मिल गई है और ये तेजी से फैल भी रहा है.
JDU राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह का बयान
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह ने अपने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड के कार्यकर्ता चाहते हैं कि नीतीश कुमारNitish Kumar फूलपुर से चुनाव लडें. इस बयान के बाद ही ये कहा जाने लगा है कि नीतीश कुमार Nitish Kumar चुनाव लड़ने फूलपुर जा सकते हैं .
Nitish Kumar के लिए फूलपुर की सियासी जमीन
दरअसल फूलपुर की सियासी जमीन भी जनता दल यूनाइटेड के नेता के लिए मुफीद नजर आ रही है. फूलपुर में पिछला लोकसभा चुनाव (2019) जेडीयू ने जीता और यहां से सासंद JDU के ही केशरी देवी पटेल हैं . केसरी देवी पटेल उसी समुदाय यानी कुर्मी ,समुदाय से आते हैं जिससे नीतीश कुमार भी आते हैं. ऐसे में मजबूत कुर्मी वोट बैंक एक आधार हो सकता है. वहीं फूलपुर ने देश को दो प्रधानमंत्री दिये हैं, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. कुल मिलाकर सीट का इतिहास और जातीय समीकऱण इसे नीतीश कुमार के लिए एक मजबूत सीट बनाती है. हाल ही में नीतीश कुमार ने लखनऊ में इस सिलसिले में सपा नेता अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी.
12 जून की बैठक के बाद होगी स्थिति साफ
हलांकि समीकरण चाहे जो भी बन रहे हों लेकिन फिलहाल ये बिहार के सीएम के लिए दूर की कौड़ी है. नीतीश कुमार बिहार छोड़ने के बारे में तभी सोच सकते हैं जब विपक्षी नेताओं की बैठक के बाद कोई आम सहमति बन जाये. इस समय सीएम नीतीश कुमार देश के सभी विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश मे जुटे हैं. जेडीयू नेता धनंजय सिंह के मुताबिक अगर तीसरी बार बीजेपी को सत्ता मे आने से रोकना है तो सारे विपक्ष को एक होना ही होगा और अगर सारा विपक्ष एक हो जाता है तो सत्ताधारी दल के खिलाफ लड़ना संभव हो सकता है. विपक्ष की एकता के बाद चुनाव NDA बनाम UPA हो जायेगा. धनंजय सिंह के मुताबिक नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश की तीन विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने की कोशिश में हैं. सपा औऱ आरएलडी पहले से साथ हैं. मायावती के बीएसपी को भी साथ लाने की कोशिश चल रही है.