Delhi Redfort Blast : दिल्ली में लाल किले के बाहर हुए ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तार आतंकियों से लगातार पूछताछ जारी है. जैश-ए-मोहम्मद के इस फिदायीन मॉड्यूल में पकड़े गए आतंकियों में से एक डॉक्टर ने पूछताछ में बड़े खुलासे किए हैं. पूछताछ में उसने बताया कि ये लोग सिग्नल ऐप ग्रुप से जुड़े थे. इनका सरगाना डॉ. मुजफ्फर था, जो इस समय फरार है. इन आतंकियों में डॉ.उमर विस्फोटक और केमिकल के बारे में जानकारी देता था और उसकी खरीदारी तय करता था.
Delhi Redfort Blast आरोपियों के फोन से मिले अहम सुराग
जैश-ए-मोहम्मद के इस फिदायीन मॉड्यूल के पकड़े गए आरोपी डॉक्टरों के मोबाइल फोन से भी कई अहम सुराग मिल हैं. ये जानकारी और सुराग काफी चौंकाने वाले हैं. आरोपियों के फोन में सिग्नल ऐप पर बना एक मेसेजिंग ग्रुप मिला है, जिसका एडमिन डॉक्टर मुजफ़्फ़र था, जो इस समय फरार है. इसी ग्रुप में ब्लास्ट के आरोपी डॉक्टर उमर, डॉक्टर मुजम्मिल, डॉक्टर आदिल और डॉक्टर शाहीन भी शामिल थे.
जांच में अहम किरदारों का खुलासा
जांच अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली ब्लास्ट की वारदात में डॉक्टर उमर की भूमिका सबसे अहम थी. सिग्नल ऐप के उस मैसेजिंग ग्रुप पर डॉ उमर हर बार कैमिकल खरीदने के बारे में पूरी जानकारी देता था. अमोनियम नाइट्रेट से लेकर ट्रायएसिटोन ट्राइपरॉक्साइड (TATP) और दूसरे केमिकल सभी की जानकारी इस ग्रुप में दी जाती थी. खरीदारी के बारे मेँ, उसकी मात्रा, कहां से खरीदी गई और कितने में खरीदी गई, इन सबके बारे में जानकारी दी जाती थी. डिजिटल फुटप्रिंट्स की जांच से साफ हो गया है कि दिल्ली ब्लास्ट में इस्तेमाल की गई अमोनियम नाइट्रेट, TATP, सल्फर डाईऑक्साइड समेत अधिकांश विस्फोटकों और टाइमर जैसे उपकरणों की डॉ.उमर ने ही खरीदा था.
डॉ.मुजम्मिल के पास था विस्फोटको को सुरक्षित रखने का काम
इस आत्मघाती दस्ते ने सभी के काम बांच रखे थे. डा.उमर जां विस्फोटकों की खरीद करता था, वहीं इसे सुरक्षित रखने का जिम्मेदारी डॉ. मुजम्मिल की थी . जांच एजेसियों ने पाया कि जब भी मुजम्मिल के घऱ पर विस्फोटक और कैमिकल का स्टॉक आता था तो वो उसकी तस्वीर खींचकर ग्रुप में भेजता था. ये इस बात की तस्दीक होती थी कि सारा माल सुरक्षित रुप से सही ठिकाने पर पहुंच चुका है.
सिग्नल ग्रुप एप के मैसेजिंग ग्रुप में मिली i20 कार की तस्वीर
जांच एजेंसियों ने पाया कि लाल किला ब्लास्ट में इस्तेमाल किये गये i20 कार का तस्वीर भी इस ग्रुप में भेजी गई थी. इससे साफ हो गया कि कार को उमर ने ही खरीदा था.
एक और नया नाम आया है सामने – फैसल इशाक भट्ट
गिरफ्तार डॉ. उमर से पूछताछ मे ये जानकारी सामने आई है कि इस माड्यूल के हैंडल करने वालो में एक नाम फैसल इशाक भट्ट का भी था जो इस जैश-ए-मोहम्मद का हैंडलरथा और इस फिदाइन मॉड्यूल को चला रहा था. पूछताछ में ये बात सामने आई कि विस्फोटक जमा करने से लेकर उसकी टेस्टिंग और दूसरी सारी जानकारी डॉ. उमर रोजाना इशाक भट्ट को देता था .फिलहाल इशाक डार पुलिस की गिरफ्त से बाहर है.
सामने आये 4 पाकिस्तानी हैंडलरों के नाम
जांच एजेंसियों को पता चला है कि फरार आतंकी मुज़फ़्फर के अफ़ग़ानिस्तान जाने के बाद से पूरे फिदाइन दस्ते के संचालन की जिम्मेदारी एक हैंडलर संभाल रहा था. ये हैंडलर +966 कोड वाले सऊदी अरब के कोड से वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल कर रहा था. जांच एजेसियां का आकलन है कि ये इशाक भट्ट कोई काल्पनिक नाम है, ये लोग जानबूझकर रखा रहे है ताकि से लोकल कश्मीर लगे. जांच एजेंसियों का सारा शक कश्मीर के लोकल लोगों पर जाये और पाकिस्तानी एजेंटों को छुपाने में मदद मिल सके . अब तक की जांच में एजेंसियो के सामने पाकिस्तान में मौजूद जैश-ए-मोहम्मद के चार हैंडलरों के नाम आ चुके हैं. ये नाम हैं- अबू उक़ाशा,हंजुल्लाह, निसार और फैसल इशाक भट्ट.

