Name Plate Issue : उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सरकार के नेम प्लेट लगाने के फैसले के बाद बिहार के बोध गया में दुकानदारों ने खुद ही अपने-अपने दुकानों और रेहरियों पर अपने नाम का बोर्ड लगा दिया है. सावन के महीने की शुरुआत होते ही बाबाधाम देवघऱ के साथ ही कांवडिये बोधगया के महाबोधी मंदिर के अंदर मौजूद शिवलिंग में महाभिषेक के लिए आते हैं. यहा हर साल हजारों की संख्या में कांवडिये शिव मंदिर में जलाभिषेक के लिए आते हैं. गर्भगृह में स्थापित भगवान शिव के मंदिर में पूजा पाठ करते हैं.

Name Plate Issue बोधगया में दुकानदारों ने लगाया नेम प्लेट
यहां के दुकानदारों ने पड़ोसी राज्य में नेमप्लेट की राजनीति को देखते हुए खुद ही ये फैसला किया है कि वे अपने अपने दुकानों औऱ रहड़ियों पर अपना नेमप्लेट लगायेंगे और सावन शुरु होने से पहले गी सभी ने नेम प्लेट लगा भी दिया है. बोध गया में कुछ दुकानदार तो ऐसे हैं जिन्होने पिछले 20 सालों से अपना नाम और नंबर दुकानों पर लगा रखा है. यहां की मार्केट में मौजूद दुकानदारों का कहना है कि नेम प्लेट लगा देने से उनके कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, उनके पास सभी धर्मों के लोग खरीदारी करने आते हैं.
बोध गया के दुकानदार बताते हैं कि बोधगया एक इंटरनेशलन धार्मिक स्थल होने के नाते दुनिया भर से लोग आते हैं, इस में हिंदु और बौध दोनों धर्मों के लोग आते हैं.यहां ने वाले 80 प्रतिशत श्रद्धालु बौध होते हैं.सावन के महीने में कांवडिये भी आते हैं उनके दुकानों से खरीदारी करते हैं. किसी को फर्क नही पड़ता है कि दुकान पर किसका नाम लिखा हुआ है .
‘दुकानों पर नेम प्लेट का होना अच्छा है ‘
इसी बाजार में दुकान लगाने वाले पंकज नाम के दुकान मालिक का कहना है कि दुकानों पर नेम प्लेट तो होनी ही चाहिये. अगर किसी तरह की कई बात ही है तो कम से कम उससे पहचान तो हो सकेगी कि किसकी दुकान का मामला है बोधगया के ज्यादातर दुकानदारों का मानना है कि नेम प्लेट लगाने से कोई गडबड़ नहीं होगी.बोधगया हिंदु और बौद्ध दोनों धर्मों के आस्था का केंद्र है. किसी का नाम लिखा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. अब भी नेम प्लेट लगाने से बोधगया में कोई भेदभाव नहीं होगा.
ज्ञान और मोक्ष की भूमि पर नहीं है कई भेद भाव
यहां आने वाले श्रद्धालु पर्यटकों का मानना है कि बोधगया ज्ञान और मोक्ष की भूमि है. भगवान बुद्ध की ये देन ही है कि यहां सभी धर्मो के लोग एक साथ रहते हैं. सावन का महीना होने के बाद भी लोग बिना कुछ डर के अपने अपने नाम लगा रहे रहे हैं. यहां कंवडिये और बौद्ध दोनों आते हैं , वो जब किसी से सामान खरीदने मे भेदभाव नहीं करते है तो हम क्यों करे. यहां बाजार में मौजूद दुकानदारों का कहना है कि वर्षों से लोग यहां एक साथ एक ही मार्केट में दुकान लगा रहे हैं. तब भेदभाव नहीं हुआ तो अब क्यों होगा ? नेम प्लेट के लगने का केवल फायदा ही है. नेम प्लेट लग जाने से लोगों की खुद के दुकान के प्रति जिम्मेदारी बढ़ जायेगी.