Mazar-e-Shuhada : हर साल 13 जुलाई को मनाये जाने वाले शहीद दिवस पर जाने से सीएम उमर अब्दुल्ला को भी रोक दिया गया . इसके बारे में उमर अब्दुल्ला ने खुद मीडिया बात करते हुए कहा कि “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन लोगों पर कानून-व्यवस्था को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी हैं, उन्हीं के आदेश पर हमें कल फ़ातिहा पढ़ने की इजाज़त नहीं दी गई. सुबह से ही सभी को नज़रबंद कर दिया गया था. जब मैंने कंट्रोल रूम को बताया कि मैं यहाँ फ़ातिहा पढ़ने आना चाहता हूँ, तो कुछ ही मिनटों में मेरे घर के बाहर बंकर लगा दिए गए और वे रात के 12-1 बजे तक वहीं रहे. आज मैं बिना किसी को बताए यहाँ आया था. आज भी उन्होंने हमें रोकने की कोशिश की… मैं जानना चाहता हूँ कि किस क़ानून के तहत मुझे रोका गया…
#WATCH | Srinagar | On visiting the Mazar-e-Shuhada on the occasion of Martyrs’ Day yesterday, J&K CM Omar Abdullah says, “It is unfortunate that by the orders of those who claim their responsibility is to maintain law and order, we were not allowed to recite the Fatiha… pic.twitter.com/cgsDNcipoy
— ANI (@ANI) July 14, 2025
Mazar-e-Shuhada:अपने ही राज्य में दीवार फांद कर कूदे सीएम अब्दुल्ला
उमर अब्दुल्ला मजार ए शुहादा पर दीवार फांद कर आंदर जाते दिखे. सीएम उमर अपने हाथों में अपनी चप्पलें उठाकर मजारों के बीच से जाते दिखाई दिये.
CM Omar Abdullah jumped over the boundary wall of Mazar-e-Shuhada to recite prayers after he was allegedly stopped by security forces.
Areee bc….Ye kya nautanki hai💀 pic.twitter.com/MW2mv3ZyNe
— BALA (@erbmjha) July 14, 2025
मीडिया से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि – “वे कहते हैं कि यह एक आज़ाद देश है, लेकिन वे सोचते हैं कि हम उनके गुलाम हैं. हम किसी के गुलाम नहीं हैं. हम सिर्फ़ यहाँ के लोगों के गुलाम हैं…
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि हलांकि उनके साथ हाथापाई तक करने की कोशिश की गई लेकिन हमने उनकी कोशिशों को नाकाम कर दिया.उन्होंने हमारा झंडा फाड़ने की कोशिश की लेकिन हम यहाँ आए और फ़ातिहा पढ़ा. वे भूल जाते हैं कि ये कब्रें हमेशा यहीं रहेंगी. सीएम ने सवाल उठाया कि अगर 13 जुलाई को सरकार को कोई दिक्कत है तो किसी और दिन आने दें लेकिन शहीदों को याद करने से क्यों रोका जा रहा है.
सारा खेल सिर्फ धर्म का है!
पहली वीडियो में जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्लाह हैं जिन्हें पुलिस धक्का देकर पीछे धकेल रही है और Mazar-e-Shuhada जाने से रोक रही है।
दूसरी तस्वीर में राजस्थान का एक मामूली सा विधायक जो SHO की कुर्सी पर बैठा है। और अधिकारी मामूली कुर्सी पर बैठे हैं। pic.twitter.com/pPxxU0jczR— Rizwan Haider (@ItsRizwanHaider) July 14, 2025
13 जुलाई को महबूबा मुफ्ति ने भी लगाये थे गंभीर आरोप
जम्मू कश्मीर में मजाऱ ए शुहादा पर जाकर फातेहा पढ़ने से रोके जाने का विवाद बढ़ता ही जा रहा है. एक दिन पहले पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ति ने आरोप लगाया था कि मजार ए शुहादा पर जाने से रोकने के लिए उनके घर के दरवाजे बंद कर दिये गये जबकि शुहादा सत्तावाद, उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ कश्मीर के प्रतिरोध का एक प्रतीक है.
क्या है मजार-ए-शुहादा ?
दरअसल, मजार ए शुहादा पर उन 22 कश्मीरी मुसलमानों के मजार हैं, जिन्हें राजा हरि सिंह के शासनकाल में 13 जुलाई को 1931 को डोगरा सेना ने गोली मार दी थी. ये कश्मीरी थे जो राजा हरिसिंह के निरंकुश शासन के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे. तब से हर साल इस जगह पर लोग आते हैं और फातेहा पढ़ते हैं.
जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त 2019 से पहले इस मौके पर हर साल छुट्टी होती थी. और कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे, जिसमें मुख्यमंत्री और राज्यपाल शिरकत करते थे. 2019 के बाद से इस कब्रगाह पर कश्मीरी नेताओं को जाने से रोका जाता रहा है.