Loksabha Election Vote counting : लोकसभा चुनाव में आमतौर पर सुबह 8 बजे मतगणना का काम शुरु हो जाता है. सबसे पहले पोस्टल बैलेट की काउंटिंग होती है. इसके बाद इवीएम खोला जाता है. मतगणना शुरु होने के करीब एक घंटे बाद रुझान आने शुरु हो जाते हैं.
Loksabha Election Vote counting कुछ घटों के बाद आ जायेगा फैसला
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हुई वोटिंग के बाद कल यानी 4 जून को 543 सीटों पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का फैसला होने वाला है. नतीजों कि घोषणा में केवल चंद घंटे बचे हैं. 543 सीटों पर खड़े उम्मीदवारों के किस्मत स्ट्रांग रुम के इवीएम में बंद है, जिसे कड़ी सुरक्षा के बीच कल सुबह 8 बजे खोला जायेगा.
ऐसे में ये सवाल उठता है कि आखिर इतने बड़े लोकतंत्र में कड़ी सुरक्षा के बीच हुए मतदान की काउंटिंग कैसे होती है,वो कौन लोग हैं जो स्ट्रांग रुम का ताला खोलते हैं, कौन लोग वोटों की गिनती करते हैं ? कौन लोग होते हैं जो अति सुरक्षित स्ट्रांग रुम के अंदर जा सकते हैं. वोटों की काउंटिंग के बाद उन लाखों इवीएम का क्या होता है जिसके जरिये मतदान रिकार्ड किये जाते हैं ? आइये आपको बताते हैं लोकतंत्र में कैसे मतदान के बाद काउंटिंग की प्रक्रिया होती है.
स्ट्रांग रुम का ताला कैसे खुलता है ?
मतगणना के ठीक पहले कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह जब काउंटिंग शुरु होने वाली होती है तो उससे पहले सुबह 7 बजे चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में स्ट्रांग रुम का ताला खोला जाता है. इस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के अब्जर्बर मौजूद रहते हैं. इस पूरी प्रक्रिया का वीडियोग्राफी भी होती है.
कैसे होती है मतगणना की पूरी प्रक्रिया ?
मतगणना शुरु होने से पहले इवीएम को कंट्रोल यूनिट काउंटिंग टेबल पर लाया जाता है, ये पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी केमरे और वीडियोग्राफी की निगरानी में चलती रहती है.इवीम को टेबल पर रखने के बाद हर एक यूनिट की यूनिक आईडी और सील के साथ मिलान किया जाता है. फिर इसे हर उम्मीदवार को दिखाया जाता है.
कैसे होती है वोटों की गिनती ?
हर मतदान केंद्र पर 15 काउंटर होते हैं, इनमें से 14 पर काउंटिंग मशीन लगी होती है और एक टेबल पर रिटर्निग अफसर बैठते हैं, हर टेबल की जानकारी गुप्त रखी जाती है. जिस दिन मतगणना होती है उस दिन रैंडम तरीके से कर्मचारियों को टेबल एलॉट किये जाते हैं.
काउंटिंग सेंटर के अंदर किस-किस को जाने की इजाजत मिलती है?
चुनाव आयोग के निर्देशो के मुताबिक मतदान केंद्र के अंदर केवल हर टेबल पर प्रत्याशी के एजेंट को रहने की इजाजत होती है. हर प्रत्याशी अपने लिए एजेंट का चुनाव खुद करता है, जिला निर्वाचन आयोग की तरफ से इन एजेंट्स को नाम र तस्वीर के साथ पहचान पत्र दिया जाता है.
मतदान केंद्र के अंदर कौन कौन रह सकता है मौजूद ?
मतगणना के दौरान ये सबसे महत्वपूर्ण है कि मतदान के केंद्र के अंदर कौन कौन जा सकता है. चुनाव आयोग के निर्देशों के मुताबिक मतदान कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षाकर्मी और प्रत्याशियों के एजेंट ही अंदर जा सकते हैं. जब तक काउंटिग पूरी नहीं हो जाती है किसी भी उम्मीदवार के एजेंट को बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती है.ड्यूटी पर तैनात अफसरों और सुरक्षाकर्मियों के अलावा किसी को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं रहती है. रिटर्निंग अफसर द्वारा रिजल्ट की घोषणा के बाद अगर किसी एजेंट को गडबड़ी का आशंका रहती है तो वो रिकाउंटिंग की मांग कर सकता है.
वोट काउंटिंग के बाद इवीएम का क्या होता है ?
ये प्रकिया बेगद महत्वपर्ण होती है. जब एक इवीएम से सारे मत काउंट कर लिये जाते हैं तो सभी इवीएम को एक बार फिर से स्ट्रांग रुम में पहुंचा दिया जाता है. इसकी वजह ये है कि अगर कोई प्रत्याशी रिकाउंटिंग की मांग करता है तो फिर से सरकारी अधिकारियों के निगरानी में वोटों की गिनती कराई जाती है. यही कारण है कि काउंटिंग के अगले 45 दिन तक इवीएम को स्ट्रांग रुम में ही रखा जाता है