दिल्ली कांग्रेस में एक प्रभावी नेता के तौर पर उभर रहे छात्र नेता कन्हैया कुमार (kanhaiyakumar)को कांग्रेस ने पार्टी के छात्रसंघ NSUI की कमान सौंपी है. लंबे समय से कयास लगाया जा रहा था कि कन्हैया कुमार (kanhiyakumar) को कांग्रेस में कोई महत्वपूर्ण पद मिल सकता है . उन्हें दिल्ली या बिहार में प्रदेश अध्यक्ष जैसी कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है.लेकिन फिलहाल कन्हैया कुमार (kanhiyakumar)को छात्र संघ का इंचार्ज बन कर ही संतोष करना होगा.
On behalf of our organization, we extend heartfelt congratulations to Shri @kanhaiyakumar ji on his appointment as the AICC In-charge of National Students Union of India (NSUI) by the Hon'ble Congress President. Wishing him great success in his new role. pic.twitter.com/1B2X7DCil7
— NSUI (@nsui) July 6, 2023
कांग्रेस के महासचिव केसी वेणु गोपाल ने गुरुवार को एक पात्र जारी किया जिसमें कन्हैया कुमार को कांग्रेस के छात्र संघ NSUI का राष्ट्रीय प्रभार सौंपा गया. केसी वेणु गोपाल द्वारा जारी पत्र में लिखा गया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खड़गे की सहमति से कन्हैया कुमार को छात्र संघ का इंचार्ज बनाया जाता है. ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू किया जाता है.
पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फिलहाल कन्हैया कुमार को छात्रों के बीच ही काम करने के लिए कहा गया है . कन्हैया कुमार के अनुभवों को देखते हुए कई सीनियर नेता इस बात के पक्ष में नहीं थे कि उन्हे प्रदेश अध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी जी जाये. सूत्रों के मुताबिक ये फैसला वरिष्ठ नेताओं की सहमति और उनके अनुभव के आधार पर लिया गया है.
जेएनयू (JNU) में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार यूनिवर्सिटी की राजनीति से निकलकर वामपंथी दल CPI का हिस्सा बन गए थे. वहां मतभेद के बाद कन्हैया कुमार ने सीपीआई छोड़ दी और 2021 में राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गये. कांग्रेस शामिल होन के बाद कन्हैया कुमार ने कहा था कि अगर देश को बचाना है तो कांग्रेस को मजबूत करना ही होगा. इसी लक्ष के साथ मैने कांग्रेस ज्विन किया है. कन्हैया कुमार का मानना है और वो अक्सर कहते हैं कि कांग्रेस एक बड़े जहाज की तरह है. अगर बच घई तो देश की सबी क्षेत्रिय पार्टियां बच जायेगी.इसके लिए कांग्रेस का बचा होना जरुरी है. कन्हैया कुमार ने 2019 में CPI के टिकट पर अपने गृहजिले बेगूसराय से बीजेपी नेता गिरीराज सिंह के खिलाफ पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और हार का मुह देखना पड़ा.