Jharkhand HighCourt : झारखंड की राजधानी रांची में एक दिलचस्प मामला हुआ .बेतरतीब ट्रैफिक से परेशान शहर में रांची हाईकोर्ट के जज साहब के आधे घंटे तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहने का मामला हाई कोर्ट में आया. रांची हाईकोर्ट ने जज को कोर्ट और उनके सरकारी आवास के बीच आने जाने के दौरान सुरक्षा देने में राज्य पुलिस की सुरक्षा में चूक के मामले का स्वत:संज्ञान लिया. इस मामले में प्रदेश के डीजीपी ने सुरक्षा में चूक मानते हुए आश्वासन दिया कि आगे ऐसा नहीं होगा.
Jharkhand HighCourt के जस्टिस विरोध प्रदर्शन के कारण ट्रैफिक में फंसे
लीगल मैगजिन बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड हाईकोर्ट के जज संजय कुमार द्विवेदी को एक राजनीतिक दल के द्वारा प्रदर्शन के कारण कोर्ट आने जाने के दौरान तगड़े ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा. इस दर्दनाक अनुभव का सामना करने के बाद जज साहब ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की. मामला ये था कि रांची हाईकोर्ट के जज संजय कुमार द्विवेदी आधे घंटे तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहे, इस दौरान उनके निजी सिक्योरिटी ऑफिसर (पीएसओ) के बारंबार अनुरोध के बाद भी पुलिस विभाग ने उनकी सुरक्षा के लिए कुछ एक्शन नहीं लिया.
जब हाई कोर्ट जज सुरक्षित नहीं तो दूसरे न्यायाधीशों का क्या होगा ?
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस द्विवेदी ने कहा कि जब उच्च न्यायलय का एक न्यायाधीश सुरक्षित नहीं है, तो इसका मतलब है कि अन्य सभी न्यायाधीशों की सुरक्षा भी खतरे में है. इस दौरान जज साहब ने जस्टिस उत्तम आनंद की हत्या का भी जिक्र किया, जिन्हें मॉर्निंग वॉक के दौरान एक ऑटो-रिक्शा ने टक्कर मार दिया था.
सुनवाई को दौरान जस्टिस द्विवेदी ने कहा कि ये केवल एक कोर्ट की चिंता का विषय नहीं है. यदि हाई कोर्ट के जज सुरक्षित नहीं है, तो इसका अर्थ है कि दूसरे जजेज भी सुरक्षित नहीं हैं. वो भी ऐसे राज्य में जहां न्यायपालिका के एक अच्छे और वरिष्ठ अधिकारी ने सड़क पर अपनी जान गंवा दी थी. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि इस मुद्दे पर कुछ एक्शन नहीं लिया गया तो संबंधित प्राधिकारी जजों की सुरक्षा के मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. न्यायिक संस्थानों को इस तरह के हमलों से बचाना सरकारी एजेंसी का सबसे बड़ा कर्तव्य है.
हाईकोर्ट ने सुरक्षा में सेंध के मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘अगर इस तरह की मनमानी को जारी रहने दिया गया तो संविधान के महान मूल्य, कानून के राज, मानवाधिकार,गरिमा और सभ्य जीवन के आधार खत्म हो जाएंगे. उच्च न्यायलय के जज एक सम्मानित व्यक्ति हैं, जो न्याय देने में अपनी भूमिका के आधार पर संप्रभु कार्य करते हैं. “नौकरशाही ढांचे में कोई भी अपने कर्तव्यों को नजरअंदाज नहीं कर सकता है. इसलिए ये अदालत ये कहने के लिए बाध्य है, क्योंकि ये घटना उच्चन्यायलय के मौजूदा जज के साथ हुआ है.”
जज साहब ने क्यों उठाया ट्रैफिक जाम का मामला
दरअसल इस महीने की 23 तारीख को उच्च न्यायालय के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी को कोर्ट से कांके रोड पर स्थित अपने आवास तक लौटते समय उन्हें असुविधा हुई थी . कांके रोड पर ही झाऱखंड के सीएम का भी आवास भी है. 23 अगस्त को एक राजनीतिक दल ने इस मार्ग पर प्रदर्शन का आयोजन किया था. जिसक कारण ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई थी. सुबह के समय पुलिस विभाग ने जज साहब की सुरक्षा के लिए पीसीआर वैन भेजी थी लेकिन शाम को आदालत से निकरने के दौरान मामला नियंत्रण से बाहर हो गया.
6 बार कॉल के बाद भी किसी ने नहीं लिया सुध
जाम में फंस जाने के बाद जज साहब के सुरक्षाकर्मियों ने लगातार पीसीआर को कॉल किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. पुलिस कंट्रोल रुम में 6 बार कॉल करने के बावजूद जज साहब आधे घंटे से ज्यादा समय तक ट्रैफिक में फंसे रहे. बार-बार अनुरोध के बावजूद पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई. जज साहब ने कार से उतरकर अपने आवास तक पैदल जाने की कोशिश की,लेकिन उनके सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा नहीं करने दिया.
ये मामला हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के पास भी पहुंचाया गया , इसमें झारखंड के पुलिस महानिदेशक भी शामिल थे. इसके बाद रांची के एसपी ट्रैफिक ने हस्तक्षेप किया और आखिरकार जज साहब को उनके घर पहुंचाया गया. ऐसी घटना दोबारा ना हो ये सुनिश्चित करने के लिए हाई कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया ताकि आइंदा जजों की सुरक्षा की अनदेखी न हो.