Tuesday, August 5, 2025

Gyanvapi Survey Report – ‘मस्जिद बनने से पहले वहां हिंदु मंदिर मौजूद था’

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वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे रिपोर्ट Gyanvapi Survey Repor संबंधित पक्षों को दिये जाने के संबंध में आदेश के बाद गुरुवार को रिपोर्ट दे दी गई . ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक किये जाने की मांग लगातार हिंदु पक्ष और मुस्लिम पक्ष दोनों तरफ से की  जा रही थी. इस संबंध में वाराणसी कोर्ट को 11 याचिकाएं मिली थी, जिसे मानते हुए गुरुवार को कोर्ट ने  सबंधित पक्षो को रिपोर्ट की हार्डकॉपी दे दी है. ज्ञानवापी सर्वे की 839 पेज की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार को संबधित हिंदु पक्ष के वकील और मुस्लिम पक्ष के वकील को सौंप दी गई.

Gyanvapi survey report विष्णु शंकर जैन ने पढ़कर सुनाई

रिपोर्ट हाथ में आने के बाद हिंदुपक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि सर्वे रिपोर्ट से पता चलता है कि मंदिर के बने बनाये हिस्सों को जोड़ तोड़कर नई संरचनाएं बनाई गई.मंदिर के खंभों के उपर दूसरी कारीगरी की गई.

ASI ने अपने सर्वे रिपोर्ट में क्या लिखा ?  

भारतीय पुरतत्व विभाग (ASI) ने 839 पन्नों के अपनी रिपोर्ट मे जो लिखा है उसके मुताबिक परिसर के साइंटिफिक जांच के दौरान वहां देखी और जांची गई सभी चीजों का विधिवत दस्तावेजीकरण किया गया है.जिन चीजों की जांच की गई उनमें वहां के शिलालेख, मूर्तियों के अवशेष, शिल्प के अवशेष, मिट्टी और वहां मौजूद बर्तनों के अवशेष, पत्थर, टेराकोटा, कांच, और धातु की वस्तुए शामिल थी. जांच के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा गया कि किसी चीज को कोई नुकसान ना हो.

ASI सर्वे की खास बातें

  1. अभी जो वर्तमान ढांचा मौजूद है,उसे बनाने के लिए मंदिर के पिलर को यूज किया गया.थोड़ा बहुत फेर बदल कर मस्जिद के पाये तैयार किये गये. पिलर पर मौजूद नक्कासियों के मिटाने कोशिश की गई, लैकिन पूरी तरह से मिटा नहीं पाये .
  2. ASI को जांच के दौरान वहां एक पत्थर का टूटा हुआ शिलालेख मिला, जिसका एक हिस्सा पहले से ASI के पास मौजूद है. ये शिलालेख हजरत आलमगीर यानी औरंगजेब के शासनकाल काल (1676-77) का है, जिसमें इस मस्जिद के निर्माण की तारीख दर्ज है.इस शिलालेख में ये भी दर्ज किया गया था कि 1676-77 सीई के मुताबिक मस्जिद का निर्माण किया गया था.इस शिलालेख की तस्वीरें 1965-66 में ASI के रिकार्ड में दर्ज है.
  3. रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे मे ये निकल कर आया कि इस पूरी संरचना में एक केंद्रीय कक्ष था, जिसके चारो तरफ उत्तर, दक्षिण , पूर्व औऱ पश्चिम में एक एक कमरे थे. संरचना में उत्तर ,पश्चिम और दक्षिण में आज भी कमरे मौजूद हैं,लेकिन पूरब के हिस्से का पता नहीं लगाया जा सकता क्योंकि ये वर्तमान में जमीन के अंदर की ओर है और पत्थर के फर्श के नीचे दबा हुआ है.पहले से मौजूद केंद्रीय संरचना की बात कही गई है, जिससे वर्तमान में केंद्रीय कक्ष बनता है. केंद्रीय कक्ष को उसकी वास्तुशिल्प, सजावटों के साथ मस्जिद के केंद्रीय कक्ष के रुप में इस्तेमाल किया जाता था. रिपोर्ट में ये कहा गया है कि इस संरचना में पहले से मौजूद कलाकृतियो और मेहराबों के अंदर की गई कलाकृतियो के उपर दूसरी संरचना बनाने की कोशिश की गई, जिससे पहले की आकृति खराब कर दी गई. वहीं गुंबद के अंदरुनी हिस्सों को अलग तरह के ये बेलबूटों से सजाया गया.
  4. मंदिर का मुख्य द्वार पश्चिम की ओर से था, जिसे पत्थरों से बंद कर दिया गया और उसपर जानवरों आदि की नक्काशी करके सजा दिया गया. रिपोर्ट में इस बात का खास तौर से जिक्र किया गया कि पश्चिम से एक बड़ा प्रवेश द्वार था जो केंद्रीय कक्ष में खुलता था. इस प्रवेश द्वार में एक छोटा प्रवेश द्वार भी था, जिसके उपर उकेरी गई आकृति को नष्ट कर दिया गया. लेकिन अभी भी उसका एक छोटा सा हिस्सा दिखाई देता है.
  5. मौजूदा संरचना के पश्चिमी दीवार पर अभी भी मंदिर का ही शेष हिस्सा है,जहां श्रृंगार गौरी की आज भी पूजा होती है. पत्थरों से बनी और सजी दीवार से पश्चिमी कक्ष के बचे हिस्सों,केंद्रीय कक्ष के दीवारो से बनी है.
  6. मस्जिद के विस्तार के लिए बाहरी हिस्सा बनाने के लिए पहले से मौजूद हिस्सों में संशोधन किया गया और इसका दोबारा इस्तेमाल किया गया. यहा मौजूद गलियारों के देखने से पता चलता है कि ये मूल रुप से एक मंदिर का हिस्सा है. मौजूदा संरचना में दीवरों पर दोनो ओर बनाई गई कमल की आकृति को तोड़ा गया फिर किनारे पत्थरों को हटाकर उसे नया रुप दिया गया.
  7. वर्तमान ढांचा मे अभी भी कई शिलालेख मौजूद है, जिससे पता चलता है कि ये मंदिरों का हिस्सा हैं. ASI को यहां से कुल 34 शिलालेख मिले हैं जो वास्तव में मंदिर के शिलालेख हैं. जिनका प्रयोग नी संरचना बनाने के लिए फिर से किया गया. इन शिलालेखों में देवनागरी, तेलगु और कन्नड भाषा के शिलालेख है.इनमें देवताओं के नाम जैसे जनार्दन , रुद्र और उमेश्वर लिखे पाये गये हैं.इन शिलीलेखों में महा-मुक्तिमंडप जैसे शब्द लिखे मिले हैं.
  8. ASI रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि वर्तमान मस्जिद का तहखाना बनाने में मंदिर के पिलर्स का प्रयोग किया गया था. इस स्तंभों को मंदिर की घंटियों से सजाया गया था और उसके चारो ओर दीये रखने के लिए जगह बनाई गई थी.इस पिलर पर संवत 1669 लिखा है.
  9. यहां हिंदु देवी देवताओं की मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प भी पाये गये हैं.पश्चिमी दीवार पर उकेरी गई सजावटों से साफ पता चलता है कि ये किसी हिंदु मंदिर का हिस्सा है. यहां मौजूद कला और वास्तु सज्जा से इसे एक हिंदू मंदिर के रूप में आसानी से पहचाना जा सकता है.
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