ज्ञानवापी: श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने ज्ञानवापी परिसर में नमाजियों की आवाजाही रोकने और छत की मरम्मत की मांग की है. न्यास ने सोमवार क जिला जज की अदालत में एक अर्जी दाखिल कर कहा है कि, ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाने की मरम्मत और पुजारियों की सुरक्षा के लिए कोर्ट इंतज़ाम करें. न्यास ने जिला जज को दिए प्रार्थना पत्र में बताया है कि नमाजियों के दबाव में तहखाने की छत से पत्थर का टुकड़ा टूटकर मूर्तियों के बगल में गिर रहे हैं. इसलिए कोर्ट आदेश देकर तहखाने की छत पर नमाजियों की आवाजाही रोके और छत की मरम्मत करवाए.

पहली बार कोर्ट पहुंचा मंदिर न्यास
आपको बता दें, ये पहला मौका है जब मंदिर न्यास ज्ञानवापी से जुड़े किसी मामले में खुद कोर्ट में वादी बन पहुंचा है. न्यास के पुजारियों ने मंदिर प्रशासन को प्रार्थना पत्र लिखकर जानकारी दी है कि तहखाने में पानी लीक हो रहा है. पानी पूजन स्थल के पास पत्थर की दीवारें और छत कमजोर होने के कारण लीक हो रहा है. इसके साथ ही छत की एक पत्थर की बीम में भी दरार पड़ गई है.
पूजा शुरु होने के बाद बढ़ी नमाज़ियों की संख्या
न्यास ने अपने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया है कि जब से व्यास जी के तहखाने में पूजा सुरु हुई है तबसे ही मस्जिद में नमाजियों की संख्या भी बढ़ गई है. इसके चलते व्यास जी के तहखाने के ऊपर के फर्श पर अधिक बोझ पड़ रहा है. न्यास ने बताया कि इसी कारण 15 फरवरी को नमाज के दौरान एकत्र भीड़ के दबाव से छत में कम्पन होने लगी थी. और साथ ही छत से एक पत्थर टूटकर विग्रह चबूतरे के ठीक बगल में गिरा था.
न्यास ने की पुजारियों की सुरक्षा की मांग
न्यास ने अपने प्रार्थना पत्र में प्रशासन से कहा कि इस तरह कमज़ोर छत पर वजन पढ़ने से पुजारियों पर खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि इस परेशानी की जानकारी कमिश्नर और डीएम को भी दी गई है. लेकिन उसके बाद भी इस मामले में वहां से कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं.
31 जनवरी को दी गई थी इजाज़त
आपको याद दिला दें की जिला जज की अदालत के आदेश के बाद 31 जनवरी से व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरु की गई थी. व्यास जी के परिवार की अर्जी पर कोर्ट ने तहखाने की बैरिकेडिंग हटाकर पूजा की इजाजत दी थी. जिसके बाद व्यास जी के परिवार ने पूजा का अधिकार काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को सौंप दिया था.
मंदिर न्यास ने अपनी अर्जी में पूजा स्थल में अंदर की छत के मरम्मत को ज़रुरी बताते हुए कहा है कि अगर ये नहीं कराई गई तो कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है. उन्होंने मांग की है कि छत की जर्जर स्थिति को देखते हुए छत के ऊपर लोगों की संख्या को भी नियंत्रित किया जाए. वकीलों के न्यायिक कार्य के बहिष्कार के कारण सोमवार को सुनवाई 19 मार्च तक के लिए टाल दी गई है.
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