Trump Tariff India : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाया है. ट्रंप ने भारत के खिलाफ लगाये जा रहे टैरिफ को पीछे भारत के रुस के साथ तेल के व्यापार को बताया है और आरोप लगाया है कि भारत ऐसा करके रुस को यूक्रेन के खिलाफ वॉर-वेपन उपलब्ध करा रहा है. वहीं भारत ने अपने जवाब में ये बता दिया है कि दुनिया में रुस के साथ तेल खरीदने वाले देशों में भारत का नंबर चीन और यूरोपीय यूनियन के बाद आता है. इसके बावजूद अमेरिका का व्यवहार चीन के साथ अलग और भारत के साथ अलग है.चीन को अमेरिका छूट दे रहा है.
Trump Tariff India:राष्ट्रपति ट्रंप से अमेरिकी मीडिया पूछ रहा है सवाल
राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम की अमेरिका में जबर्दस्त चर्चा हो रही है. ट्रंप से ये सवाल पूछा जा रहा है कि जिसे अमेरिका अपना रणनीतिक साझेदार (Strategic Partner ) मानता था, उसे लेकर ऐसा रुख़ ऐसा क्यों हो गया ?
अमेरिकी मीडिया में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि भारत की तुलना में चीन रुस से अधिक तेल का आयात कर रहा है और चीन रुस का रणनीतिक साझेदार भी है.इसके बावजूद ट्रंप का रुख ऐसा क्यों है ?
अमेरिकी मीडिया में ट्रंप के इस फैसल के बाद दोनो देशों के बीच रिश्तों पर पड़ने वाले असर की भी बात हो रही है. कहा जा रहा है कि इससे इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र में चीन को चुनौती देने में भी अड़चनें आएंगी.
अमेरिकी मीडिया मे ये भी चर्चा हो रही है कि भारत दुनिया में एक तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था वाला देश है. इसलिए भारत के साथ संबंध खराब होने को लेकर बड़े अखबरों में खबरें छप रही हैं.
The Wall Street Journal ने लिखा संपादकीय
अमेरिकी अख़बार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने अपने संपादकीय में इस मामले पर राष्ट्रपति ट्रंप से सवाल पूछा है. अखबार ने अपने संपादीय में लिखा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को चेतावनी दी है कि अगर भारत रूस से तेल की ख़रीद जारी रखता है तो अमेरिका उनपर 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगा देगा लेकिन सवाल ये है कि जब चीन रुस से भारत के मुकाबले अधिक तेल ख़रीद रहा है, तो उसे अभीतक क्यों छोड़ा गया है?
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है कि ये 50 प्रतिशत टैरिफ़ किसी भी देश पर लगाए जाने वाले टैरिफ में सबसे ज़्यादा होगा.हलांकि अखबार ने ये भी लिखा है कि अमेरिकी सीनेट में अभी ये भी प्रस्ताव लंबित है कि जो भी देश रुस से तेल खरीदेगा, अमेरिका उसपर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगायेगा. इस प्रस्ताव को सीनेट के 80 से ज़्यादा सदस्यों का समर्थन मिल चुका है. आने वाले सितंबर महीने में इस पर वोटिंग भी हो सकती है.
चीन रुस को उपलब्ध करा रहा है युद्ध के लिए सामाना – वॉल स्ट्रीट जर्नल
अखबार ने ये भी लिखा है कि चीन रुस को यूक्रेन के खिलाफ अधुनिक तकनीक भी मुहैय्या करा रहा है. बीते हफ्ते यूक्रेन ने इस बात के सबूत भी दिखाये है कि कैसे चीनी के भाड़े के सैनिक रूस के साथ मिलकर ख़ारकीव में लड़ाई भी लड़ रहे हैं.
इखबार ने लिखा है कि अमेरिका के पिछले कई राष्ट्रपतियों ने इंडो-प्रशांत क्षेत्र में बारत को चीन के खिलाफ रणनीतिक संतुलन के तौर पर देखा है. ऐसे में भारत को निशाना बनाना और चीन को छोड़ना अमेरीका के लिए अच्छा नहीं है. ऐसे कदम अमेरिका के लिए भारत में समर्थन जुटाने में मददगार साबित नहीं होंगे.कहा ये भी जा रहा है कि ट्रंप सरकार के फैसलो के बाद भारत अमेरिकी संबंध दशक पुरानी स्थिति पर आ गया है. हलांकि अखबार ने ये भी कहा है कि ट्रंप का ये फैसला किसी के लिए भी चौंकाने वाला नहीं है.
वाशिंगटन पोस्ट ने भी भारत के समर्थन में लिखा लेख
अमेरिका के बड़े अखबारों में से एक वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री अपने घरेलू समर्थकों को साधने के साथ साथ रूस के साथ भी साझेदारी बनाए रखने पर अड़े हैं. वाशिंगटन पोस्ट ने अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी के बयान को कोट करते हुए लिखा है कि उन्होने कहा था कि भारत ने रूसी तेल इसलिए ख़रीदा क्योंकि अमेरिका चाहता था कि कोई उसे सीमित दामों के तहत ख़रीदे, जिससे कि तेल की वैश्विक क़ीमतें न बढ़ें.
ट्रंप के खिसियाहट की वजह अखबार ने बताई
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति के रिश्तों में खटास तब आई जब भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध रुकवाने को लेकर ट्रंप के दावे का खंडन किया. भारत ने काफ़ी समय तक टकराव से बचने की कोशिश की, लेकिन बाद में सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया देना शुरू किया है.
भारत को अमेरिकी से अधिक रुस की जरुरत
अखबार ने यहां तक लिखा है कि अपने उपर पड़ रहे भारी दबाव के बावजूद पीएम मोदी रूस के साथ अपना व्यापार ख़त्म नहीं करेंगे. भारत को अमेरिका से ज्यादा रूस की जरुरत है.इस लिए भारत फिलहाल संतुलन बनाए रखेगा.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने ट्रंप टैरिफ को बताया आर्थिक युद्ध
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने ट्रंप के टैरिफ़ को ‘आर्थिक युद्ध’ बताया है. अखबार ने भारत की तुलना ब्राज़ील से की है. जिस तरह से ब्राजील ने अमेरिकी दवाब के आगे झुकने से इंकार कर दिया है उसी तरह से भारत भी कर रहा है.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने 2025 फ़रवरी में प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे का जिक्र करते हुए लिखा है कि ‘जब पीएम मोदी ने अमेरिका को भारत के आर्थिक विकास का साझेदार बताते हुए कहा था- “अमेरिका की भाषा में इसे ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन’ यानी एमआईजीए कहा जाएगा. जब अमेरिका और भारत साथ आते हैं तो एमएजीए और एमआईजीए मिलकर ‘मेगा पार्टनरशिप फ़ॉर प्रॉस्पेरिटी’ बन जाते हैं.’
प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण पर राष्ट्रपति ट्रंप मुस्कुरा रहे थे.बीचे साल भारत-अमेरिका के बीच व्यापार लगभग 130 अरब डॉलर का हुआ था जिसमें दवाएं, ऑटो पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक सामान और रत्न शामिल थे.
अखबार ने ट्रंप के कदमों की आलोचना करते हुए लिखा है कि “इस क़दम से अमेरिका में मेडिसीन और सेमीकंडक्टर उद्योग भी प्रभावित होंगे. जिसपर भारत अच्छी बढ़त हासिल है. अमेरिका में बिकने वाली लगभग 40 प्रतिशत जेनेरिक दवाइयां भारत में बनती हैं.
खतरे में पड़ सकताी है ग्लोबल अमेरिकी कंपनियां
अमेरिकी कंपनियों के भविष्य को लेकर भी न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है. अमेरिकी की कंपनी माइक्रॉन की आने वाले दिनों में गुजरात में 2.5 अरब डॉलर का निवेश करके सेमिकंटक्टर चिप निर्माण शुरू करने की योजना है. कोविड महामारी के बाद एपल, ब्लैकस्टोन और अन्य बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अरबों डॉलर का निवेश किया है, अब ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ के बाद सब खतरे में आ सकते हैं.
ट्रंप की महत्वाकांक्षा ने मुश्किल में डाला
न्यूयार्क टाइम्स ने इसे राष्ट्रपति ट्रंप की महत्वाकांक्षा बताते हुए लिखा है कि ट्रंप ने ’24 घंटों में’ यूक्रेन युद्ध ख़त्म करने की बत कहकर अब तक का सबसे बड़ा जोखिम उठाया है. ट्रंप के इस फ़ैसले से अमेरिका और एशिया में उसके अहम रणनीतिक साझेदार भारत के बीच का रिश्ता दांव पर है.
अखबरार ब्लूमबर्ग ने भी ट्रंप के नीतियों की आलोचना की है. ब्लूमबर्ग ने लिखा है कि “भारत, ब्राज़ील, चीन और रूस ब्रिक्स समूह के संस्थापक सदस्य हैं. और ट्रंप इस समूह को अमेरिका विरोधी बता चुके हैं.