Friday, July 11, 2025

Varanasi का अनोखा अस्पताल यहां बेटी पैदा होने पर नहीं लिया जाता है कोई चार्ज

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वाराणसी 

हमारे देश  में आज भी कई परिवारों में बेटियों का जन्म बोझ समझा जाता है. समाज की इस सोच को बदलने में जुटी है प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र का एक बेटी डा.शिप्रा (Dr Shipra dhar shrivastav,Varanasi). डा. शिप्रा  वाराणसी ((Dr Shipra dhar shrivastav,Varanasi) में एक अस्पताल चलाती है, जहां उन्होंने ये नियम बनाया है कि अगर उनके अस्पताल में किसी फीमेल चाइल्ड यानी बच्ची का जन्म होता है तो उनके माता पिता से प्रसूती पर हुआ खर्च नहीं लिया जायेगा. कन्या के जन्म का पूरा खर्चा डा. शिप्रा का अस्पताल खुद उठाता है.

बेटी नहीं है  बोझ ,आओ बदले अपनी सोच

इसी सोच के साथ वाराणसी की डॉक्टर शिप्रा धर श्रीवास्तव (Dr Shipra dhar shrivastav,Varanasi) पिछले 9 सालों से अपने मेडिकल फील्ड में काम कर रही है. डॉ शिप्रा श्रीवास्तव बताती हैं कि उनके हॉस्पिटल में जो भी डिलीवरी होती है, यदि गर्ल चाइल्ड पैदा हुई तो उसका कोई चार्ज नहीं लिया जाता है .

इस सोच के पीछे भी एक कहानी है.डा. शिप्रा बताती है कि उनके क्लीनिक में 2014 में एक घटना घटी थी जिसकी वजह से उनके दिमाग में इस तरह की बात आई. डा. शिप्रा अब तक अपने अस्पताल में लगभग 500 फीमेल चाइल्ड की डिलीवरी करा चुकी है, और उसका कोई चार्ज नहीं लिया है.

10 साल मे 500 गर्ल चाइल्ड की हुई यहां डिलीवरी

डॉ शिप्रा बताती है इस कार्य को करते हुए लगभग 10 साल हो गए . 500 से ज्यादा बच्चियों का उनके अस्पताल में जन्म हो चुका है. डा.शिप्रा कहती हैं कि उन्हें सबसे ज्यादा संतुष्टि तब मिलती है जब कोई ये कहता है की अपनी बेटी को हम आपकी तरह बनाएंगे.डाक्टर शिप्रा का कहना है कि उन्हें तब लगता है कि उनकी यह मुहिम रंग ला रही है.

पीएम मोदी ने डा. शिप्रा की मुहिम को सराहा

अपने इसी परमार्थ की वजह से डॉक्टर शिप्रा से खुद पीएम मोदी भी मिले. 2019 में प्रधानमंत्री जब वाराणसी आए थे तब डॉक्टर शिप्रा से मिलकर बहुत खुश हुए थे और अपने बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की मुहिम में डॉक्टर शिप्रा को जुड़ा हुआ देखकर बेहद खुश भी हुए. पीएम मोदी ने अपने मंच से डॉक्टर शिप्रा का नाम लिया . डा. शिप्रा का कहन है कि पीएम की सराहना उन्हें अपनी मुहिम को और आगे बढ़ने की प्रेरणा और ऊर्जा मिली है.तब से डॉ शिप्रा अपने पति के साथ बेटियों को सुरक्षित और संरक्षित करने की मुहिम में लगी हुई है.

आज यहां के लोग सरकारी अस्पताल छोड़कर इनके  यह डिलीवरी के लिए आने लगे हैं और खर्चे के डर से जो लोग बेटियों से नफरत करते थे आज वह खुशी-खुशी आकर यहां डिलीवरी कराते हैं और बेटी होने पर बिना चार्ज दिए मुस्कुराते हुए जाते हैं.

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